
कई बार दरवाजा, कुर्सी या किसी इंसान को छूने पर अचानक से स्पार्क की आवाज आती है और करंट का झटका सा महसूस होता है। ऐसा होने के बाद इंसान दोबारा किसी चीज को छूने से डरता है। ऐसा सिर्फ आपके साथ ही नहीं, बल्कि दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जिनके साथ ऐसा होता है। ऐसे में हमें इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण जानना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों होता है ? तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह…
किसी वस्तु को छूने पर क्यों लगता है करंट ?
दरअसल, ब्रह्मांड में सभी वस्तुएं एटम यानी अणु से बनी हुई हैं। हर एटम में प्रोटोन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन होते हैं। करंट के फ्लो होने में इनका बहुत बड़ा रोल होता है। हालांकि, इनकी संख्या बराबर होती है। लेकिन कभी-कभी जब यह डिसबैलेंस हो जाते हैं या इनकी संख्या शरीर में ज्यादा हो जाती है तो ऐसे में शरीर के अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉन में काफी ज्यादा हलचल पैदा होने लगती है।
कागज-कंघी पर क्यों चिपकते हैं बाल ?
जब आप प्लास्टिक की कंघी को अपने बालों में फैराते हैं, तो उससे कुछ इलेक्ट्रॉन छूटकर आपके बालों में समा जाते हैं। ऐसे में कंघी के पास नेगेटिव चार्ज कम हो जाता है और पॉजिटिव चार्ज ज्यादा। पॉजिटिव और नेगेटिव चार्ज अपनी और खीचते हैं, इसलिए कागज के टुकड़े उसके पीछे खिचे चले जाते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि जब किसी व्यक्ति या वस्तु में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है तो नेगेटिव चार्ज भी बढ़ जाता है और फिर ये इलेक्ट्रॉन किसी पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन जो अन्य वस्तु या व्यक्ति में होंगे उसकी ओर बढ़ने लगते हैं। इसी कारण करंट या बिजली का झटका महसूस होता है।
कुर्सी से कैसे करंट लगता है ?
जब हम प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठकर ज्यादा हिलते हैं और हमारे पैर जमीन को ना छू रहे हो तो प्लास्टिक की कुर्सी हमारे कपड़ों से अलग होने वाले इलेक्ट्रॉन को जमा करने लगती है। ऐसे में पॉजिटिव चार्ज जमा होने लगता है। जब तक आप कुर्सी पर बैठे रहते हैं, ये चार्ज आपके साथ रहता है लेकिन जैसे ही आप कुर्सी से उठते हैं तो ये चार्ज कुर्सी के पास चला जाता है और जब आप कुर्सी को छूते हैं या फिर उस पर बैठते हैं तो हल्का सा करंट लगता है।
क्या मौसम है जिम्मेदार ?
ऐसी घटनाएं तब होती हैं जब मौसम में बदलाव होता है। खासतौर पर सर्दी की शुरुआत और इसके खत्म होने पर ऐसी घटनाएं ज्यादा होती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, इसकी वजह है इलेक्ट्रॉन और मौसम में नमी की मात्रा का घटना और बढ़ना। यही दोनों फैक्टर तय करते हैं कि करंट लगेगा या नहीं।