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इंदौर : रिश्वत मांगना पड़ा महंगा! 2017 के मामले में कोर्ट ने आरोपी को भेजा जेल

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में रिश्वतखोरों के खिलाफ जिला न्यायालय ने बड़ी कार्रवाई की है। लोन राशि का चेक देने एवं सब्सिडी राशि को लोन खाते में जमा करने के एवज में रिश्वत लेते पकड़ाए आरोपी भरत गोयल को कोर्ट ने जेल भेज दिया है। मंगलवार को विशेष कोर्ट ने 4-4 वर्ष की कठोर सजा एवं 2-2 हजार के अर्थदण्ड से आरोपी दण्डित किया है। साथ ही अर्थदण्ड की राशि अदा न करने पर 3 माह का अतिरिक्त कारावास अलग से भुगतान करना होगा।

जानें पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक, फरियादी देवदास मकवाना ने 5 अक्टूबर 2016 को लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में एक आवेदन पत्र पेश किया था। आवेदक को नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक शाखा सुदामा नगर इंदौर से ऑटो रिक्शा खरीदने हेतु 9 अगस्त 2016 को दो लाख रुपए की राशि का लोन स्वीकृत हुआ था। लोन में 40 हजार रुपए की सब्सिडी प्राप्त हुई थी। आवेदक ने 2 सितंबर 2016 को दोपहर में बैंक जाकर मैनेजर भरत गोयल से मुलाकात की और लोन राशि देने व सब्सिडी राशि के बारे में चर्चा की तो भरत गोयल ने आवेदक को लोन राशि का चेक देने एवं सब्सिडी राशि को लोन खाते में जमा करने के एवज में 20 हजार रुपए रिश्वत की मांग की।

इसके साथ ही कहा कि 20 हजार रुपए नहीं दोगे तो सब्सिडी की राशि लोन खाते में जमा नहीं होगी। जिसके बाद आवेदक को 2 लाख रुपए लोन पर पूरा ब्याज भरना होगा। आवेदक ने भरत गोयल से रिश्वत राशि कम करने का निवेदन किया तो उसने 5 हजार रुपए रिश्वत राशि कम करते हुए 15 हजार रुपए रिश्वत में लेना तय किया। आरोपी भरत गोयल ने 6 अक्टूबर 2016 को फरियादी देवदास से रिश्वत राशि 6 हजार रुपए सफाईकर्मी भोलाराम को दिलवाई थी, जिसे लोकायुक्त पुलिस द्वारा मौके पर जब्त किया गया। जिसके बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले की हर पहलुओं से जांच करने के बाद मंगलवार को विशेष न्यायाधीश राकेश गोयल द्वारा यह फैसला सुनाया गया। इसके साथ ही आरोपी को अर्थदण्ड की राशि अदा न करने पर 3 माह का अतिरिक्त कारावास अलग से भुगतान करना होगा। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक ज्योति गुप्ता द्वारा की गई।

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