भोपाल। आज वर्ल्ड हार्ट डे है। आम तौर पर हर साल यही आंकड़े सामने आते हैं कि बुजुर्गों के साथ-साथ अब युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है। यह क्रम आज भी जारी है। लेकिन इस बार दिल के मरीजों के लिए जो सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आई है, वह कोरोना से जुड़ी हुई है। दरअसल, मार्च 2020 से लेकर अब तक कोरोना के लाखों केस देखने को मिले हैं। इनमें वेंटिलेटर सपोर्ट, ऑक्सीजन सपोर्ट, सांस लेने में तकलीफ या अन्य गंभीर लक्षण जिन मरीजों में सामने आए हैं, उनको हार्ट अटैक का सामना करना पड़ा है।
इन मरीजों में एक सामान्य बात यह भी देखी गई है कि ऐसे मरीजों को कोरोना होने के बाद उनके खून गाढ़ा होने लगता है, जिसकी वजह से नसों ब्लॉकेज जैसी समस्या पैदा हुई है। इसके कारण हार्ट अटैक और लकवा जैसे मामले पता चले हैं। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल (एम्स) के कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गौरव खण्डेलवाल ने दी। उन्होंने कहा कि मोटे तौर पर जिनको ज्यादा सीरियस कोरोना हुआ था या जिन्हें वेन्टिलेटर या ऑक्सीजन लगा हुआ था और उनका सेचुरेशन कम था, ऐसे मरीजों में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा मिले हैं।
कोरोनाकाल में युवावस्था में भी आ रहे हार्टअटैक की ज्यादा मामले
डॉ. गौरव खण्डेलवाल ने बताया कि हार्ट अटैक के मामलों में यंगस्टर्स भी प्रभावित हो रहे हैं। इसकी वजह उनकी लाइफस्टाइल है। क्योंकि कोरोनाकाल में अक्सर लोग अपने घर पर ही रहे। जिसकी वजह से मोटापा, स्ट्रेस, धूम्रपान जैसी लत का शिकार युवा हो गए। इस दौरान सबसे ज्यादा मोबाइल में व्यस्त रहने की वजह से भी समस्याएं पैदा हुई हैं। ऐसी परिस्थितियों में फिजिकल एक्टिविटी न होना भी इसका सबसे बड़ा कारण है।
प्रश्न, जो अक्सर मन में होते हैं
सवाल: क्या क्रिटिकल मरीजों को ही हार्ट अटैक आया है, या कोरोना के सामान्य मरीजों में भी यह समस्या देखने को मिली है। |
जवाब: कोरोनाकाल के दौरान बड़ी संख्या में इस तरह के मरीज मिले हैं। जिन्हें कोरोना होने के बाद उसके 10 से 20 दिन के भीतर ही हार्ट अटैक आ गया। इनमें कई मरीजों की मृत्यु भी हुई। चिंता की बात यह भी है कि कोरोना के वह मरीज, जिन्हें हल्फा फुल्का कोरोना हुआ था, उन मरीजों में भी हार्ट अटैक देखने को मिला है। कोरोना के पहले और दूसरे फेस में भोपाल एम्स में 150 से 200 मरीज अटैक और लकवा के शिकार हुए हैं। इनमें कुछ मरीज ऐसे भी मिले हैं, जिनमें दिमाग की नस भी ब्लॉक हुई हैं। |
सवाल: कहते हैं जो लोग फिट रहते हैं, उनका दिल मजबूत होता है, बावजूद इसके जिम जाने वाले लोगों को भी हार्ट अटैक क्यों आ रहे हैं? |
जवाब: खुद को फिट रखने के लिए एरोबिक्स एक्ससाइज अच्छी रहती है। इसके अलवा आप चाहें तो डांसिंग, जम्पिंग, सायकिलिंग और स्वीमिंग भी कर सकते हैं। लेकिन जो लोग वेटलिफ्टिंग करते हैं, या ज्यादा हेवीवेट उठाते हैं या फिर ज्यादा जिम में पसीना बहाते हैं, उनका ब्लड प्रेशर ज्यादा बढ़ने की संभावना रहती है। हैवी एक्ससाइज करने वाले युवा स्टोराइड्स का भी सेवन करते हैं। बगैर हेल्थ एक्सपर्ट से जांची गई स्टोराइड्स का सेवन करना दिल को नुकसान पहुंचा सकती है, इसका विपरीत असर हार्ट के अलावा शरीर के अन्य अंगों पर भी पड़ता है। |
सवाल: शरीर में शकर के अलावा नमक की भी तय मात्रा होनी चाहिए, इसका सही पैमाना क्या है। |
जवाब: बहुत कम ऐसे मरीज होते हैं जिन्हें लो बीपी की समस्या रहती है। ऐसे मरीज सामान्य मात्रा में नमक खा सकते हैं। लेकिन आमतौर पर नमक नुकसानदेह ही होता है। इसलिए 24 घंटे में एक चम्मच से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए। वहीं जो ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, उन्हें नमक बहुत ही कम मात्रा में लेना चाहिए। |
सवाल: कोई भी सामान्य व्यक्ति खुद कैसे पता कर सकता है कि उसे हार्ट की बीमारी है, या हार्ट अटैक आने पर खुद का कैसे बचाव कर सकता है। |
जवाब: अक्सर कुछ लोग एसीडिटी को नजरअंदाज करते हैं। यह हार्ट अटैक से जुड़ा एक सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर हो सकता है। इसे खुद आइडेंटीफाय करें। यह लोगों को पता होना चाहिए। क्योंकि कई बार छाती या पेट में दर्द होता है तो हम एसीडिटी समझकर उसे नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि इसके कुछ प्रमुख लक्षण होते हैं जैसे-छाती के बीच जकडन महसूस होना, घुटन हो रही हो जो गले तक आ रही हो या एक हाथ में या दोनों हाथों में आ रही हो। उल्टी सा मन कर रहा हो और साथ में पसीना आ रहा हो, यह हार्ट अटैक के लक्षण हैं। पूरी छाती में जलन या भारीपन आ रहा हो तो वह भी हार्ट का लक्षण हैं। जबकि एसीडिटी की वजह सामान्यतः पेट से जुड़ी तकलीफ होती है यह छाती में होने पर डकार के साथ खट्टा पानी मुंह में आ जाता है, यह एसीडिटी की तकलीफ होती है। |
सवाल: लाइफस्टाइल बदलने के साथ ही हमें ऐसे कौन से परहेज करना चाहिए, जिससे हम दिल की बीमारी से बच सकें। |
जवाब: अगर शुगर है तो मीठे का परहेज करें। शुगर कंट्रोल करें। ब्लडप्रेशर को भी कंट्रोल में रखें। ब्लड प्रेशर वाले मरीजों को नमक कम से कम खाना चाहिए। इसके अलावा हर रोज कम से कम आधे घंटे के लिए साइकलिंग और जॉगिंग जरूर करना चाहिए। धूम्रपान तो बिलकुल बंद कर देना चाहिए। हेल्थी रहें, स्वच्छता के साथ खाद्य सामग्री का सेवन करें, फल ज्यादा खांएं। बाहर का बना हुआ कम से कम ले। हेल्थी सामग्री को डाइट में शामिल करें। |
सवाल: अक्सर तेल और घी के सेवन पर भी नियंत्रण करने की सलाह दी जाती है। क्या तेल और घी को अपने खाने की सूची में से पूरी तरह हटा देना चाहिए। |
जवाब: नहीं ऐसा नहीं हैं। तेल और घी को यदि नियंत्रण और तय मात्रा में खाया जाए तो यह कभी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। सवाल यही उठता है कि आखिरकार तेल कौन सा इस्तेमाल करें और हम अपने मरीजों को यही जवाब देते हैं कि सरसों का तेल सबसे अच्छा है, इसके बाद ऑलिव ऑयल, जैतून का तेल, सफोला तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं और सोयाबीन का तेल भी अच्छा है। लेकिन इस बात का खास ख्याल रखें कि दो बार इस्तेमाल किए गए तेल को प्रयोग में न लाएं, किसी भी तेल का इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार करना चाहिए। कोई भी खाद्य सामग्री को एक ही तेल में 3-4 बार फ्राय न करें। नारियल का तेल खाना नुकसान दायक होता है और डालडा घी को सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। |