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Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मामले पर मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, कोर्ट ने मामला सुनवाई योग्य माना

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट ने गुरुवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने उस मामले को पोषणीय माना है और इसी आधार पर याचिका को खारिज किया। मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि इस मुकदमे पर सुनवाई संभव है। इस वजह से मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया गया।

कोर्ट ने याचिका सुनवाई योग्य नहीं माना

वाराणसी कोर्ट में गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने सहित प्रमुख मांगों को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई। जिन प्रमुख मांगों पर सुनवाई होनी थी, उसमें एक याचिका किरन सिंह विसेन और अन्य की है। इसमें ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई थी। इस पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति लगाई थी। कमेटी ने कहा था कि किरन सिंह विसेन की यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

इससे पहले 12 सितंबर को कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना था।

अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी

हिंदू पक्ष के एडवोकेट अनुपम द्विवेदी के मुताबिक, अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मुकदमा सुनवाई योग्य है। अदालत ने सुनवाई की अगली डेट 2 दिसंबर तय की है। इससे पहले इस मुकदमे के संबंध में कोर्ट ने 17 नवंबर की डेट तय की थी। बता दें कि यह मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी किरन सिंह विसेन और अन्य की ओर से दाखिल किया गया है। कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी बहस पूरी कर उसकी लिखित प्रति दाखिल कर चुके थे।

हिंदू पक्ष की क्या मांग है?

  • ज्ञानवापी परिसर में मिले ज्योतिर्लिंग यानि भगवान आदि विश्वेश्वर शंभू विराजमान की नियमित पूजा प्रारंभ करना।
  • संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम पक्ष का प्रवेश प्रतिबंधित हो।
  • ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को देना, मंदिर के ऊपर बने विवादित ढांचे को हटाना शामिल है।

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ज्ञानवापी से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा मामला

सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर एक याचिका दायर की गई है। वो याचिका भी ज्ञानवापी मामले से जुड़ी हुई है। उस केस में केंद्र सरकार को 12 दिसंबर तक अपना जवाब दाखिल करना होगा। उसके बाद अगले साल जनवरी में मामले की सुनवाई होगी। द प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजंस) एक्ट 1991 की धारा 3 कहती है कि धार्मिक स्थलों को उसी रूप में संरक्षित किया जाएगा, जिसमें वह 15 अगस्त 1947 को था। अगर ये सिद्ध भी होता है कि मौजूदा धार्मिक स्थल को इतिहास में किसी दूसरे धार्मिक स्थल को तोड़कर बनाया गया था, तो भी उसके अभी के वर्तमान स्वरूप को बदला नहीं जा सकता है।

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