
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देश में चल रहे 21 विश्वविद्यालयों को फर्जी घोषित किया है। यूजीसी ने ऐसे फर्जी एवं गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची जारी की है। ये यूजीसी अधिनियम का उल्लंघन करने रहे हैं, जिन्हें फर्जी विश्वविद्यालय घोषित किया गया है और उन्हें कोई डिग्री प्रदान करने का अधिकार नहीं है।
इन विश्वविद्यालयों को बताया फर्जी
- ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एंड फिजिकल हेल्थ साइंसेज, दिल्ली।
- कमर्शियल यूनिवर्सिटी लिमिटेड, दरियागंज, दिल्ली।
- यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, दिल्ली।
- वोकेशनल यूनिवर्सिटी, दिल्ली।
- एडीआर सेंट्रिक ज्यूरिडिकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग, दिल्ली।
- विश्वकर्मा ओपन यूनिवर्सिटी फॉर सेल्फ इम्प्लॉयमेंट, दिल्ली।
- आध्यात्मिक विश्वविद्यालय, रोहिणी, दिल्ली।
- वडागांवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी, कर्नाटक।
- सेंट जोन्स यूनिवर्सिटी, केरल।
- राजा अरेबिक यूनिवर्सिटी, नागपुर।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता।
- इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च, कोलकाता।
- गांधी हिंदी विद्यापीठ, प्रयाग, उत्तर प्रदेश।
- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो कॉम्पलेक्स होम्योपैथी, कानपुर।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ओपन यूनिवर्सिटी, अलीगढ़।
- भारतीय शिक्षा परिषद, लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
- नबाभारत शिक्षा परिषद, शक्ति नगर, राउरकेला।
- नॉर्थ ओरीसा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, ओडिशा।
- श्री बोधी एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, पुडुचेरी।
- क्राइस न्यू टेस्टामेंट डीम्ड यूनिवर्सिटी, आंध्र प्रदेश।
क्या है UGC ?
बता दें कि यूजीसी केंद्र सरकार का एक आयोग है जो विश्वविद्यालयों को मान्यता देता है। यह मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों अनुदान भी देता है। यूजीसी का मुख्यालय राजधानी दिल्ली में है और इसकी छह क्षेत्रीय शाखाएं- पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी और बेंगलुरु में हैं। यूजीसी राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा (NET) का भी कराता है, जिसे पास करने वाले उम्मीदवार विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अध्यापक बनाए जाते हैं।
ये हैं अधिनियम
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 के अनुच्छेद 22 (1) के अनुसार, केंद्रीय, राज्य, प्रांतीय अधिनियम के तहत स्थापित विश्वविद्यालय अथवा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुच्छेद 3 के तहत स्थापित मानद विश्वविद्यालय ही उपाधि प्रदान कर सकते हैं, जिन्हें संसदीय अधिनियम द्वारा उपाधि प्रदान करने के लिए विशेष रूप से अधिकार दिया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुच्छेद 23 के अनुसार, उपरोक्त के अलावा अन्य किसी संस्थान द्वारा ‘विश्वविद्यालय’ शब्द का प्रयोग निषिद्ध है।
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