
मुंबई। साल 2018 में रिलीज हुई धड़क ने युवा दर्शकों के दिलों को छू लिया था। ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर की मासूम सी प्रेम कहानी न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफल रही, बल्कि सामाजिक विषयों पर भी चर्चा की वजह बनी। अब उसी नाम का सीक्वल ‘धड़क 2’ एक बिल्कुल नई कहानी, नए चेहरे और नए दृष्टिकोण के साथ आने को तैयार है।
इस बार फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में होंगे सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी, और निर्देशन की बागडोर संभाली है शाजिया इकबाल ने। हालांकि नाम ‘धड़क 2’ है, लेकिन फिल्म का कंटेंट, सोच और ट्रीटमेंट पूरी तरह नया है। हाल ही में फिल्म को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से U/A सर्टिफिकेट मिला है, लेकिन इस मंजूरी के पीछे एक लंबी प्रक्रिया और 16 बड़े बदलाव शामिल हैं।
राजनीतिक और जातीय सेंसिटिविटी पर सख्ती
CBFC ने फिल्म के कुछ डायलॉग्स में राजनीतिक या जातिगत संकेत होने की आशंका के चलते बदलाव के लिए कहा है, जैसे “धर्म का काम है” जैसे डायलॉग को बदलकर “पुण्य का काम है” किया गया, जिससे किसी भी समुदाय की भावनाएं आहत न हों।
तुलसीदास के दोहे में भी हुआ संशोधन
फिल्म के एक गाने में मूल रूप से तुलसीदास का एक दोहा शामिल था, जिसे सेंसर बोर्ड ने हटाकर उससे मिलता-जुलता वैकल्पिक वाक्य शामिल करने का निर्देश दिया। यह कदम धार्मिक भावनाओं को लेकर सतर्कता के तहत उठाया गया है।
डायलॉग्स और विजुअल्स में कई बदलाव
- एक संवाद, “3 हजार साल पुराना कचरा 70 साल में नहीं हटाया जा सकता,” को बदलकर “सदियों पुराना भेदभाव महज 70 साल में नहीं हटाया जा सकता” किया गया।
- एक सीन में नीले रंग का कुत्ता दिखाया गया था, जिसे बदलने का सुझाव दिया गया है क्योंकि यह प्रतीकात्मक तौर पर विवादास्पद माना जा सकता था।
- महिला के साथ हिंसा के एक दृश्य को हटाकर उसकी जगह ब्लैक स्क्रीन लगाने का निर्देश दिया गया है, जिससे हिंसा के ग्राफिक प्रभाव को कम किया जा सके।
डिसक्लेमर का समय बढ़ाया गया
फिल्म की शुरुआत में दिखाए जाने वाले डिसक्लेमर को पहले 20 सेकंड का रखा गया था, जिसे अब बढ़ाकर 1 मिनट 51 सेकंड कर दिया गया है। साथ ही यह निर्देश भी दिया गया है कि डिसक्लेमर तेज आवाज में सुनाई दे ताकि दर्शकों को स्पष्ट संदेश मिले।
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