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ग्वालियर : सास ने रचाई विधवा बहू की दूसरी शादी, स्वर्गीय हास्य कवि प्रदीप चौबे के बड़े बेटे ने किया कन्यादान

ग्वालियर। जहां समाज में आज भी विधवा विवाह को लेकर संकोच और पूर्वाग्रह बना हुआ है, वहीं ग्वालियर की विनीता चौबे ने एक साहसिक और मानवीय कदम उठाकर समाज को नई सोच का रास्ता दिखाया है। मशहूर हास्य कवि स्वर्गीय प्रदीप चौबे की पत्नी विनीता ने अपनी विधवा बहू वर्षा की दूसरी शादी करवा कर एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने अपने निर्णय से न सिर्फ एक जीवन को फिर से संवारने की कोशिश की, बल्कि सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती भी दी।

7 साल पहले बेटे की सड़क हादसे में मौत

प्रसिद्ध कवि प्रदीप चौबे के दो बेटे हैं। उनके छोटे बेटे आभास की शादी वर्षा से हुई थी, लेकिन शादी के कुछ वर्षों बाद ही आभास का भोपाल में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। बेटे की असमय मृत्यु के बाद कुछ ही समय में प्रदीप चौबे का भी देहांत हो गया। इस दुखद दौर के बाद घर में केवल विनीता चौबे और उनकी छोटी बहू वर्षा रह गईं। दोनों के लिए हर दिन दुख और अकेलेपन से भरा था। लेकिन विनीता ने अपनी बहू की जिंदगी दोबारा बसाने का फैसला किया।

सास बनी मां, बेटे-बहू ने निभाया कन्यादान का फर्ज

विनीता चौबे ने अपने बड़े बेटे आकाश और बहू नेहा से बात की और बहू वर्षा की दूसरी शादी का प्रस्ताव रखा। दोनों ने इस निर्णय में न केवल सहमति दी, बल्कि सक्रिय भूमिका भी निभाई। वर्षा का विवाह कानपुर के चेतन जैन से 11 मई को संपन्न हुआ। इस विवाह में सबसे भावुक पल तब आया जब सास के बड़े बेटे आकाश और बहू नेहा ने मिलकर वर्षा का कन्यादान किया।

वह बहू थी, पर बेटी से कम नहीं थी- विनीता चौबे

विनीता चौबे ने कहा, “अगर मेरे पति जीवित होते, तो वे भी यही फैसला लेते। वर्षा बहू थी, लेकिन मेरे लिए बेटी से कम नहीं। उसकी जिंदगी फिर से बसाना मेरा फर्ज था।”

उन्होंने कहा कि समाज क्या कहेगा, इसकी परवाह किए बिना उन्होंने सिर्फ एक स्त्री के भविष्य और मानसिक सुकून के बारे में सोचा।

वर्षा की दूसरी शादी में हास्य कवियों की दुनिया से जुड़े कई चर्चित चेहरे भी मौजूद रहे। अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा, अरुण जैमिनी और डॉ. सुरेश अवस्थी जैसे बड़े नाम इस मौके पर उपस्थित रहे और विनीता चौबे के इस निर्णय की खुले दिल से सराहना की।

समाज का मिला भरपूर समर्थन

युवा हास्य कवि चिराग जैन ने सोशल मीडिया पर इस विवाह और विनीता चौबे के साहसिक निर्णय की सराहना की। उन्होंने लिखा, “विनीता जी ने अपने दुखों को भुलाकर अपनी बहू को दोबारा जीवनसाथी चुनने की आजादी दी। यह आसान नहीं था, पर उन्होंने कर दिखाया। उनके साहस को मेरा नमन।”

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