
जेनेवा। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से जारी ट्रेड वॉर में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। जेनेवा में हुई दो दिवसीय बातचीत के बाद दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक समझौता किया है, जिसके तहत टैरिफ में कुल 115% की कटौती की गई है। यह निर्णय फिलहाल 90 दिनों के लिए लागू रहेगा, ताकि दोनों पक्षों के बीच आर्थिक तनाव में कमी लाई जा सके और आगे की बातचीत के लिए रास्ते खुल सकें।
अमेरिका 30% और चीन 10% टैरिफ लगाएगा
समझौते के अनुसार अमेरिका अब चीनी उत्पादों पर 30% टैरिफ लगाएगा, जबकि चीन अमेरिकी उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाएगा। यह कटौती उन ट्रिपल डिजिट टैरिफ दरों के मुकाबले एक बड़ा बदलाव है, जो पिछले महीनों में लागू की गई थीं। यह व्यापार जगत और वैश्विक बाजार के लिए राहत की खबर मानी जा रही है।
अमेरिका ने चीन पर लगाया था 145% टैरिफ
पिछले महीने अमेरिका ने चीनी सामानों पर 145% टैरिफ लागू कर दिया था। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125% तक की दर से टैरिफ लगा दिए थे। इस कदम से दोनों देशों के बीच करीब 600 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार लगभग रुक गया था। व्यापारिक संबंधों में आई इस भारी बाधा ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और बाजार को गहरे संकट में डाल दिया था।
चीन ने कहा- यह विश्व के लिए सकारात्मक संकेत
11 मई को व्हाइट हाउस की ओर से इस व्यापार समझौते की घोषणा की गई थी, हालांकि तब इसकी विस्तृत जानकारी नहीं दी गई थी। अब समझौते के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने इसे व्यापार घाटा कम करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि बताया है। वहीं, चीन के उप-प्रधानमंत्री हे लीफेंग ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी सकारात्मक संकेत है। चीन के उप वाणिज्य मंत्री ली चेंगगैंग ने कहा कि यह वैश्विक व्यापार के लिए एक अच्छी खबर है।
असहमति उतनी गहरी नहीं थी जितनी लग रही थी- अमेरिकी
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने बातचीत के बाद पत्रकारों से कहा, “दोनों पक्ष बहुत जल्दी समझौते तक पहुंच गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मतभेद उतने बड़े नहीं थे, जितना पहले सोचा गया था।”
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस बातचीत से पहले कई स्तरों पर तैयारियां की गई थीं। हालांकि, अभी तक दोनों पक्षों ने 145% अमेरिकी और 125% चीनी टैरिफ को स्थायी रूप से कम करने को लेकर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की है।
ट्रंप ने पहले ही संकेत दिया था टैरिफ कटौती का
समझौते से एक सप्ताह पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में संकेत दिया था कि वे चीन पर लगे टैरिफ को कम कर सकते हैं। उन्होंने माना था कि अत्यधिक टैरिफ दरों के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग ठप हो गया है और इसे फिर से शुरू करने की जरूरत है।
ट्रंप ने कहा था, “किसी भी समय मैं टैक्स घटा सकता हूं, क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो चीन के साथ व्यापार करना संभव नहीं रहेगा और वे व्यापार करना चाहते हैं।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि चीन की अर्थव्यवस्था संकट में है, फैक्ट्रियों की हालत 2023 के बाद से सबसे खराब है और निर्यात के ऑर्डर तेजी से गिर रहे हैं।
ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पहली सीधी बैठक
यह बैठक ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अमेरिकी और चीनी आर्थिक प्रतिनिधियों के बीच आमने-सामने हुई। ट्रंप ने पद संभालते ही टैरिफ वॉर की नीति को तेज कर दिया था। उन्होंने अमेरिका में फैले फेंटानिल संकट को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करते हुए फरवरी में चीनी वस्तुओं पर 20% टैरिफ लगाया था। इसके बाद अप्रैल में 34% रेसिप्रोकल टैरिफ और फिर कई बार अन्य टैरिफ लगाकर दरें ट्रिपल डिजिट तक पहुंचा दी गईं। ट्रंप ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि चीनी वस्तुओं पर 80% टैरिफ बरकरार रहेगा, लेकिन पहली बार उन्होंने टैरिफ में संभावित कटौती का भी संकेत दिया था।
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