
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने 15 घंटे की मैराथन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया है, लेकिन इस ऐतिहासिक संवाद का केंद्र बन गया उनका भारत को लेकर बदला हुआ रुख। जहां एक ओर उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता और संवाद की महत्ता पर जोर दिया, वहीं दूसरी ओर चुनाव के दौरान चलाए गए ‘India Out’ कैंपेन के उलट भारत के साथ हुए द्विपक्षीय समझौतों को चिंता का विषय नहीं बताया। इस यूटर्न के बाद मुइज्जू घरेलू विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।
मैराथन प्रेस कॉन्फ्रेंस, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
शनिवार को सुबह 10 बजे शुरू हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस देर रात तक चली और लगातार 15 घंटे तक मुइज्जू पत्रकारों के सवालों के जवाब देते रहे। इस तरह उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का 14 घंटे का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस दौरान सिर्फ नमाज के लिए कुछ देर का विराम लिया गया। मुइज्जू के कार्यालय ने कहा कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रेस की भूमिका को सम्मान देने और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के महत्व को दर्शाने के लिए आयोजित की गई।
भारत को लेकर नरमी दिखाने पर मचा राजनीतिक घमासान
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब उनसे भारत से रिश्तों पर सवाल किया गया तो मुइज्जू ने कहा, “भारत के साथ मालदीव ने जो द्विपक्षीय समझौते किए हैं, उनमें कोई चिंता की बात नहीं है।”
यह बयान 2023 के उनके चुनावी अभियान से बिल्कुल विपरीत था, जिसमें उन्होंने ‘India Out’ कैम्पेन चलाकर भारत को मालदीव की संप्रभुता के लिए खतरा बताया था। विपक्ष ने इसे मुइज्जू का राजनीतिक धोखा बताया और माफी की मांग की।
India Out से शुरू हुआ था विवाद
2023 में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत-मालदीव संबंधों में तनाव आ गया। उन्होंने भारत विरोधी एजेंडा अपनाया और चीन के करीब जाने लगे। जनवरी 2024 में यह तनाव तब बढ़ा जब मालदीव के तीन मंत्रियों ने पीएम नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं। भारत में सोशल मीडिया पर मालदीव का विरोध शुरू हो गया और इन मंत्रियों को बाद में सस्पेंड करना पड़ा।
इस विवाद के बीच मुइज्जू चीन के पांच दिवसीय राजकीय दौरे पर चले गए, जहां उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। चीन से लौटने के बाद मुइज्जू ने बयान दिया, “हम एक छोटा देश हो सकते हैं, लेकिन किसी को भी हमें बुली करने का अधिकार नहीं।”
हालांकि उन्होंने भारत का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत साफ थे। इसके बाद उन्होंने भारत को 15 मार्च तक अपने सैनिक हटाने की अंतिम तिथि दे दी।
अब बदला सुर
अब जबकि मुइज्जू ने भारत से जुड़े समझौतों को चिंता का विषय नहीं कहा है, विपक्ष इसे जनता से विश्वासघात बता रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि मुइज्जू ने एंटी-इंडिया भावना को भड़काकर सत्ता हासिल की और अब सत्ता में आने के बाद पलटी मार ली है।