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भारत-पाकिस्तान टेंशन के बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- हमें सहयोगी चाहिए, ज्ञान देने वाले नहीं

दिल्ली में आयोजित आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत को दुनिया में ऐसे साझेदारों की जरूरत है जो सहयोग करें, न कि उपदेश दें।

समिट के होस्ट समीर सरन ने सवाल पूछा कि भारत को यूरोप से क्या उम्मीद होनी चाहिए? इसका उत्तर देते हुए जयशंकर ने कहा, “जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं, तो हम साझेदार ढूंढ़ते हैं, उपदेश देने वाले नहीं। खासकर वे प्रवचन देने वाले, जो विदेश में तो उपदेश देते हैं, लेकिन उसे अपने घर में अमल में नहीं लाते।”

उन्होंने कहा कि यूरोप इस समय एक परीक्षा के दौर में है, जहां उसे वास्तविकताओं से जूझना होगा और देखना होगा कि वह इन चुनौतियों पर कितना खरा उतरता है।

पश्चिमी देश पाकिस्तान के साथ बातचीत की दे रहे सलाह

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की दर्दनाक हत्या हुई। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ है, जिसमें मूसा नामक एक पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी भी शामिल है। इस हमले के बाद पश्चिमी देशों ने भारत के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं, लेकिन साथ ही पाकिस्तान से बातचीत करने की सलाह भी दे डाली। इस पर भी भारत ने अप्रसन्नता जताई है। भारत सरकार ने सेनाओं को आतंक के खिलाफ खुली कार्रवाई की छूट दे दी है, लेकिन पश्चिम का यह बातचीत करो वाला रवैया भारतीय जनभावना से मेल नहीं खा रहा।

पश्चिम के डबल स्टैंडर्ड पर पहले भी कर चुके हैं सवाल

यह पहला मौका नहीं है जब जयशंकर ने पश्चिमी देशों के रवैये पर तीखी प्रतिक्रिया दी हो। फरवरी 2025 में म्यूनिख में आयोजित सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में उन्होंने लोकतंत्र पर पश्चिमी नजरिए की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि पश्चिमी देश लोकतंत्र को केवल अपनी व्यवस्था मानते हैं और ग्लोबल साउथ के देशों में वे अक्सर ऐसी ताकतों को समर्थन देते हैं जो लोकतांत्रिक नहीं होतीं।

जब उनसे पूछा गया कि क्या दुनिया भर में लोकतंत्र खतरे में है, तो उन्होंने भारतीय चुनावों की ओर इशारा करते हुए कहा था, “हमारे लिए लोकतंत्र कोई थ्योरी नहीं, बल्कि यह एक डिलीवर किया गया वादा है।”

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