अंतर्राष्ट्रीयताजा खबर

पाकिस्तान की ओछी करतूत… अपने नागरिकों के लिए भी नहीं खोल रहा अटारी बॉर्डर का गेट, भीषण गर्मी में सुबह से फंसे लोग

भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए कई अहम निर्णय लिए हैं। इनमें सिंधु जल संधि को सस्पेंड करना और भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का निर्देश शामिल है। हालांकि, मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने अटारी बॉर्डर के जरिए पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी की समयसीमा अगले आदेश तक बढ़ा दी है। बावजूद इसके, वाघा बॉर्डर की पाकिस्तानी ओर का गेट बंद होने के चलते सैकड़ों पाकिस्तानी नागरिक भारत में फंसे हुए हैं।

गर्मी में खुले आसमान के नीचे फंसे नागरिक

अटारी बॉर्डर पर पाकिस्तानी नागरिकों की भारी भीड़ है। ये सभी लोग तय समयसीमा में वतन लौटने की कोशिश में लगे थे, लेकिन पाकिस्तान की ओर से वाघा बॉर्डर का गेट बंद रखे जाने के कारण वे वहीं अटके हुए हैं। तेज धूप और लू भरे मौसम में बिना भोजन-पानी के ये लोग सड़कों पर रात बिताने को मजबूर हैं।

हरिद्वार गंगा स्नान कराने आए थे, अब वापसी नहीं हो रही

क्वेटा में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वे 15 अप्रैल को अपनी मां को हरिद्वार गंगा स्नान कराने के लिए भारत लाए थे। हमले के बाद भारत सरकार ने सभी पाक नागरिकों को वापस लौटने का निर्देश दिया, इसलिए वे बॉर्डर पर पहुंचे। लेकिन अब पाकिस्तानी गेट बंद होने के कारण वहीं फंसे हुए हैं।

नाना-नानी से मिलने आया युवक भी परेशान

कराची के एक शख्स ने बताया कि वे अपने बीमार नाना-नानी से मिलने भारत आए थे। वे सुबह 8:30 बजे बॉर्डर पर पहुंच गए थे, लेकिन पता चला कि गेट बंद है। हर्ष ने कहा, “हम बिना खाना-पानी के इतनी गर्मी में फंसे हुए हैं। कोई जानकारी नहीं दी जा रही, हम बहुत परेशान हैं।”

पाकिस्तान की मंशा पर उठ रहे सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने पाकिस्तान की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान जानबूझकर वाघा बॉर्डर का गेट बंद रखकर भारत के खिलाफ माहौल बिगाड़ना चाहता है और द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। भारतीय अधिकारियों ने इस मुद्दे पर पाकिस्तानी अधिकारियों से संपर्क करने की कई बार कोशिश की है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।

ये भी पढ़ें- पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास का निधन, गणगौर पूजा में झुलसने के बाद अहमदाबाद में ली अंतिम सांस, महिला सशक्तिकरण की मुखर आवाज रहीं

संबंधित खबरें...

Back to top button