
लंदन। ग्लोबल वॉर्मिंग से जंग के बीच ब्रिटिश सरकार कुछ हμतों के अंदर वैज्ञानिकों को सूरज की रोशनी को कम करने के प्रयोगों की इजाजत देने वाली है। इस प्रोजेक्ट को ब्रिटेन की एडवांस्ड रिसर्च एंड इन्वेंशन एजेंसी (एआरआईए) फंड कर रही है। एजेंसी ने 50 मिलियन पाउंड (5.72 अरब रुपए) का फंड खास तौर पर जियो-इंजीनियरिंग रिसर्च के लिए रखा है। एआरआईए के प्रोग्राम डायरेक्टर प्रोफेसर मार्क साइम्स ने कहा है कि हम सुरक्षित डिजाइन के साथ रिसर्च करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। कोई भी प्रयोग तभी किया जाएगा, जब यह पूरी तरह रिवर्स किया जा सके और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि जिन वैज्ञानिकों को फंडिंग दी जाएगी, उनके नाम कुछ हμतों में घोषित कर दिए जाएंगे। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि छोटे-छोटे आउटडोर प्रयोग कब और कहां होंगे।
ऐसे किया जाएगा कंट्रोल
- वैज्ञानिक एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिसमें हवा में खास तरह के एरोसोल्स यानी महीन कण छोड़े जाएंगे।
- ये कण वातावरण की सबसे ऊंची परत जिसे स्ट्रैटोस्फियर कहते हैं, उसमें भेजे जाएंगे, ताकि सूरज की कुछ किरणें पृथ्वी तक न पहुंच पाएं।
- इससे धरती का तापमान थोड़ा कम किया जा सकेगा।
- इसके अलावा बादलों को चमकदार बनाने की भी योजना है।
- इससे वे ज्यादा रोशनी को वापस अंतरिक्ष में भेज सकेंगे और धरती पर गर्मी कम महसूस होगी।
प्रयोग से 10 साल में आसकता है बड़ा बदलाव
अगर ये शुरुआती प्रयोग सफल रहे, तो वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस तकनीक को अगले 10 सालों में बड़े स्तर पर लागू किया जा सकता है। यानी भविष्य में हो सकता है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार हमारे हाथ में सूरज की किरणों को थोड़ा-सा मोड़ने की तकनीक बन जाए। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके लिए सतर्कता के साथ प्रयोग करना होगा, अन्यथा मुश्किल होगी।
ये हो सकते हैं खतरे
- वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आइडिया सुनने में जितना शानदार लगता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है।
- मौसम के प्राकृतिक चक्र में गड़बड़ी आ सकती है।
- बारिश के पैटर्न बदल सकते हैं, तूफानों की तीव्रता बढ़ सकती है और कुछ इलाकों में सूखा भी पड़ सकता है।
- यही वजह है कि विशेषज्ञ बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि किसी भी प्रयोग को बेहद सावधानी से करना होगा।