ताजा खबरराष्ट्रीय

पहलगाम आतंकी हमला : ड्राइवर आदिल बना फरिश्ता, नमक की गलती और मोलभाव ने बचाईं कई लोगों की जान

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। यह हमला कुछ निर्दोष जानों की हत्या नहीं था, बल्कि उस अमनपसंद कश्मीर की आत्मा पर भी चोट थी, जो शांति और पर्यटन से अपनी पहचान बनाना चाहता है। लेकिन इस दुखद घटना के बीच कुछ ऐसे चेहरे सामने आए जिन्होंने अपनी इंसानियत, बहादुरी और सूझबूझ से कई लोगों की जान बचा ली।

ड्राइवर आदिल बना फरिश्ता

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कश्मीरी ड्राइवर आदिल की इंसानियत की मिसाल देखने को मिल रही है। आदिल ने आतंकियों के हमले के दौरान महाराष्ट्र से आए एक पर्यटक परिवार को अपने घर में जगह दी, उन्हें खाना खिलाया और सुरक्षित रखा। ऑन कैमरा आदिल ने कहा कि गलती एक ने की है, सजा हम सबको भुगतनी पड़ेगी।

उन्होंने भावुक होकर कहा कि इस हमले से पूरे कश्मीर की इकोनॉमी प्रभावित होगी। स्ट्रीट वेंडर से लेकर होटल मालिक तक, हर कोई इसकी चपेट में आएगा। आदिल का यह वीडियो लाखों लोगों के दिल को छू गया है।

नमक की गलती ने बचाई केरल परिवार की जान

केरल की लावण्या और उनका परिवार भी हमले के वक्त पहलगाम की ओर ही बढ़ रहे थे। लेकिन एक ढाबे में ऑर्डर किए गए खाने में नमक ज्यादा होने की वजह से उन्हें एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इसी दौरान हमले की खबर मिली और वे बाल-बाल बच गए। लावण्या ने बताया कि हम बैसरन की और बढ़ रहे थे, तभी हमने कुछ आवाजे सुनीं, दुकाने बंद हो रही थी और लोग इधर-उधर भाग रहे थे, तभी हमें मालूम हुआ कि पहलगाम में आतंकी हमला हुआ है।तो हम लोग वापस होटल लौट आए। अगर वो खाना ठीक समय पर मिल जाता तो शायद हम उस वक्त पहलगाम में होते।  उन्होंने इसे भगवान की लीला बताया और कहा कि नमक की ये गलती उनके लिए वरदान साबित हुई।

खच्चर वाले से मोलभाव करने में बचे 28 पर्यटक

कोल्हापुर, सांगली, पुणे और रत्नागिरी से आए 28 पर्यटकों का एक ग्रुप भी हमले की चपेट में आते-आते बच गया। बैसरन घाटी में घोड़े वालों से किराए को लेकर 15 मिनट तक मोलभाव और फिर घोड़े इकट्ठा करने में हुई देरी ने उन्हें बचा लिया। तभी ड्राइवर ने चिल्लाते हुए उन्हें फायरिंग की सूचना दी और सभी पर्यटक फौरन लौट आए।

व्यापारी नजाकत अहमद ने बचाई 11 लोगों की जान

अनंतनाग के रहने वाले और सरगुजा (छत्तीसगढ़) में गर्म कपड़े बेचने वाले व्यापारी नजाकत अहमद शाह ने हमले के दौरान अदम्य साहस दिखाया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के चिरमिरी से आए चार दंपतियों और उनके तीन बच्चों को फायरिंग के बीच सुरक्षित पार्किंग स्थल तक पहुंचाया। इस हमले में उनके सगे मामा आदिल हुसैन शाह की गोली लगने से मौत हो गई, लेकिन नजाकत ने हिम्मत नहीं हारी और सभी को श्रीनगर एयरपोर्ट तक पहुंचाकर ही दम लिया। सरगुजा के लोगों ने उन्हें “फरिश्ता” करार दिया और कश्मीर के लोग उनकी बहादुरी पर गर्व कर रहे हैं।

घाटी में दहशत के साथ-साथ उठी इंसानियत की लहर

इस हमले ने घाटी में भय और तनाव का माहौल तो बनाया ही, लेकिन साथ ही कई कश्मीरी नागरिकों ने यह साबित कर दिया कि आतंक की इस आग में भी इंसानियत जिंदा है। ड्राइवर, व्यापारी और आम लोग हर स्तर पर पर्यटकों की मदद करते नजर आए।

ये भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर : पाकिस्तान ने LoC पर रातभर की फायरिंग, भारत ने दिया जवाब; बांदीपोरा में सुरक्षाबलों की आतंकवादियों से मुठभेड़ जारी

संबंधित खबरें...

Back to top button