
इंदौर में होटल के एक कमरे से नकली नोटों की फैक्ट्री का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पढ़े-लिखे बेरोजगार युवकों ने सोशल मीडिया के जरिए एक गिरोह खड़ा कर लिया था, जो फिल्मी स्टाइल में होटल में छिपकर नकली करेंसी छापने का धंधा चला रहा था। इस पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ तब हुआ, जब होटल स्टाफ को कुछ संदिग्ध गतिविधियों पर शक हुआ। मास्टर चाबी से कमरा खोलकर देखा गया, तो वहां प्रिंटर, लेमिनेटर, कम्प्यूटर, बटर पेपर और 500-500 रुपए के लाखों के नकली नोट बिखरे मिले। सूचना मिलने पर क्राइम ब्रांच ने तत्काल दबिश दी और 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
छिंदवाड़ा के बेरोजगार ने रचा जाल
मुख्य आरोपी अब्दुल शोएब उर्फ छोटू (25) छिंदवाड़ा का निवासी है और आर्ट एंड डिजाइन में ग्रेजुएट है। लंबे समय से बेरोजगारी और पारिवारिक कर्ज के चलते उसने ऑनलाइन नकली करेंसी से जुड़े ग्रुप खंगालने शुरू किए। इसी दौरान उसकी पहचान गुजरात के द्वारका निवासी मयूर चम्पा (25) से हुई, जिसे नकली नोट छापने का आइडिया फिल्म फर्जी देखकर आया था।मयूर ने शोएब को एक खास सॉफ्टवेयर दिलाया, जो हूबहू असली नोटों की तरह प्रिंटिंग कर सकता था। इस सॉफ्टवेयर में वाटरमार्क, सीरियल नंबर और रंगों का पूर्ण मेल मौजूद था। यहीं से शुरू हुई इस फर्जी नोट छपाई के नेटवर्क की नींव।
सोशल मीडिया से जोड़े बेरोजगार युवक
शोएब ने इस धंधे में रहीश खान (32), प्रफुल्ल कोरी (19), भोपाल के आकाश घारु (30) और मेडिकल स्टोर संचालक शंकर चौरसिया (42) को जोड़ा। सभी या तो बेरोजगार थे या छोटे-मोटे काम कर रहे थे। सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक के जरिए संपर्क कर यह नेटवर्क बना। इन्होंने मिलकर नकली करेंसी छापने के लिए प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, कटिंग टूल्स, बटर पेपर, हाई रेजोल्यूशन स्कैनर और अन्य उपकरण खरीदे। इंदौर के अनुराग नगर स्थित होटल इंटरनिटी को इस काम का अड्डा बनाया ।
होटल स्टाफ को हुआ शक
होटल स्टाफ को कमरा नंबर 301 में कुछ संदिग्ध गतिविधियों का शक हुआ। जब आरोपी कमरे में नहीं थे, तब एक स्टाफ मेंबर ने मास्टर चाबी से दरवाजा खोला और कमरे का वीडियो बनाकर क्राइम ब्रांच को भेजा। वीडियो देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए। इसके बाद तत्काल दबिश दी गई और शोएब, रहीश खान और प्रफुल्ल कोरी को गिरफ्तार किया गया। तलाशी में 500 रुपए के 100 नकली नोट और नोट छापने के उपकरण बरामद हुए।
भोपाल में पकड़े गए सप्लायर
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि भोपाल में उनके दो साथी नकली नोटों की सप्लाई का काम कर रहे हैं। इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम भोपाल पहुंची और वहां से आकाश घारु व शंकर चौरसिया को 3.85 लाख रुपए के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया गया। इन दोनों ने स्वीकार किया कि वे फेसबुक के जरिए छिंदवाड़ा की गैंग से जुड़े थे और नकली नोटों को बाजार में खपाने की जिम्मेदारी उनकी थी।
सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट को भी दबोचा
मामले में गिरोह के छठे सदस्य मयूर चम्पा को द्वारका (गुजरात) से गिरफ्तार किया गया। डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश त्रिपाठी ने बताया कि मयूर ने ही वो सॉफ्टवेयर तैयार कराया था, जिससे यह गैंग असली जैसे नकली नोट छाप रही थी।
अब तक 4.35 लाख के नकली नोट जब्त
अब तक आरोपियों के कब्जे से 500 रुपए के कुल 870 नकली नोट, यानी 4 लाख 35 हजार रुपए, के अलावा प्रिंटर, कटिंग मशीन, बटर पेपर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड और लेमिनेशन बंडल जब्त किए गए हैं।
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