
भोपाल। राजधानी भोपाल में एक बुजुर्ग से डिजिटल अरेस्ट कर 68 लाख रुपए की धोखाधड़ी के मामले में पकड़े गए आरोपी यशपाल भट्ट की जमानत याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश विजय कुमार शर्मा की अदालत ने दिया, जिन्होंने अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।
जमानत याचिका पर कोर्ट का कड़ा रुख
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा निवासी यशपाल भट्ट की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अपर जिला लोक अभियोजक मंजू जैन सिंह ने अदालत को बताया कि आरोपी एक संगठित साइबर अपराध गिरोह का हिस्सा है। वह गरीब और भोले-भाले लोगों को कमाई का झांसा देकर उनके बैंक खाते खरीदता और उन्हें साइबर ठगों को कमीशन पर बेचता था।
बुजुर्ग से 68 लाख की ठगी
मामले की शुरुआत फरियादी मनोज भुरारिया की शिकायत से हुई। उन्होंने क्राइम ब्रांच थाना भोपाल में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि उन्हें वीडियो कॉल कर खुद को आरबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताने वाले फर्जी लोगों ने डिजिटल अरेस्ट की धमकी दी। इस मनोवैज्ञानिक दबाव में आकर मनोज ने करीब 68 लाख रुपए की रकम साइबर ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दी।
क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार
जांच में सामने आया कि यशपाल भट्ट इस साइबर ठगी रैकेट का अहम कड़ी था। उसे गिरफ्तार कर क्राइम ब्रांच थाना ने पूछताछ की, जिसमें आरोपी ने महत्वपूर्ण खुलासे किए। अपने मेमोरेंडम में यशपाल ने बताया कि वह और उसका बड़ा भाई विशाल भट्ट पिछले चार वर्षों से लोगों से बैंक खाते खरीद रहे थे और उन्हें साइबर अपराधियों को बेचते थे। यशपाल ने यह भी स्वीकार किया कि अब तक उन्होंने करीब 150 बैंक खाते साइबर ठगों को बेचे हैं।