
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों द्वारा किए गए IED धमाके में CAF (छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स) का एक जवान शहीद हो गया। यह घटना शनिवार को हुई जब जवान सड़क निर्माण कार्य की सुरक्षा में तैनात थे।
सड़क सुरक्षा ड्यूटी के दौरान हुआ ब्लास्ट
जानकारी के मुताबिक, बीजापुर के तोयनार-फरसेगढ़ मार्ग पर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। इसकी सुरक्षा के लिए CAF की 19वीं बटालियन के जवान तैनात किए गए थे। इसी दौरान अचानक IED ब्लास्ट हुआ, जिसकी चपेट में आने से 26 वर्षीय जवान मनोज पुजारी शहीद हो गया।
घटना के बाद सर्च ऑपरेशन जारी
ब्लास्ट के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने इलाके को घेरकर सर्चिंग अभियान शुरू कर दिया है। जवानों को आशंका है कि आसपास और भी विस्फोटक हो सकते हैं, इसलिए क्षेत्र में सावधानी बरती जा रही है।
एक हफ्ते पहले भी मिली थी बम की साजिश
गौरतलब है कि बीजापुर जिले में नक्सली गतिविधियां लगातार बनी हुई हैं। एक हफ्ते पहले मनकेली गांव के पास पुलिस ने सीरियल IED बरामद किए थे। वहां से 3 बोतल बम और 2 टिफिन बम को डिफ्यूज किया गया था।
शहीद जवान को श्रद्धांजलि
शहीद जवान मनोज पुजारी की शहादत को लेकर पूरे सुरक्षा बल में शोक का माहौल है। जवानों की बहादुरी और सतर्कता के बावजूद नक्सली हमले चिंता का विषय बने हुए हैं।
बस्तर में तेज हुआ एंटी नक्सल ऑपरेशन
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया जा रहा है। सुरक्षाबल घने जंगलों में सर्चिंग अभियान चला रहे हैं और माओवादियों की तलाश कर रहे हैं।
31 मार्च 2026 तक खत्म होगा नक्सलवाद: अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में ऐलान किया है कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। इस घोषणा के बाद से ही सुरक्षा बल माओवादियों पर दबाव बनाकर उन्हें सरेंडर करने को मजबूर कर रहे हैं।
बढ़ते दबाव से घबरा रहे नक्सली
सुरक्षा बलों की कार्रवाई से घबराकर नक्सली अब आईईडी ब्लास्ट जैसे हमलों का सहारा ले रहे हैं ताकि अपनी मौजूदगी दर्ज करा सकें। हाल ही में माओवादियों ने एक पर्चा जारी कर ग्रामीणों को पहाड़ों पर न जाने की चेतावनी दी है और उसमें लिखा है कि उन्होंने सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए आईईडी बम लगाए हैं।
नई सरेंडर पॉलिसी से हो रहा फायदा
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने नक्सलियों के लिए नई पुनर्वास नीति शुरू की है। इसके तहत जो माओवादी आत्मसमर्पण करते हैं उन्हें नकद राशि, घर, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
सरकार की ‘लोन वर्राटू’ और ‘पूर्णा नारकोम’ जैसी योजनाएं नक्सली युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद कर रही हैं।