
मनीषा धनवानी/भोपाल। भागदौड़ भरी जिंदगी और बढ़ते प्रदूषण के बीच आज हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में मानसिक और शारीरिक सुकून की तलाश है। ऐसे में प्रकृति से जुड़ाव ही एकमात्र रास्ता है, जो न सिर्फ सुकून देता है बल्कि जीवन को संतुलित और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक है। भीषण गर्मी और प्रदूषण के बीच खुद को प्रकृति से जोड़ने का सबसे बेहतरीन तरीका है टेरेस गार्डनिंग। इसी सोच को अपना कर डॉ. राकेश भार्गव और उनकी पत्नी अर्चना भार्गव ने अपने घर की छत को एक हरे-भरे बागीचे में बदल दिया है।
करीब दस वर्ष पहले दो पौधों से शुरू हुई यह यात्रा आज एक टेरेस गार्डनिंग के रूप में फलीभूत हो चुका है। अर्चना भार्गव बताती हैं कि जब उन्होंने पहली बार टमाटर घर पर उगाए, तो यह संतुष्टि मिली कि यह हमारे घर के हैं। यहीं से विचार आया कि क्यों न खाने के साथ उसे उगाने का भी सुख लिया जाए। आज उनके टेरेस गार्डन में भिंडी, पालक, मेथी, धनिया जैसी कई हरी सब्जियां लगी हुई हैं, जिनका स्वाद बाजार की सब्जियों से एकदम अलग और शुद्ध है।
डॉ. राकेश भार्गव ने गार्डनिंग के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाते हुए एक छोटा फार्महाउस भी ले लिया है, जहां गेहूं, चना, हल्दी जैसी अन्य फसलें उगाई जा रही हैं। वे बताते हैं कि टेरेस गार्डन से घर का तापमान भी नियंत्रित रहता है और गर्मियों में छत के नीचे ठंडक बनी रहती है। एक ही गमले में कई स्तरों पर फसलें उगाकर मल्टी लेयर फार्मिंग की जा सकती है, जिसमें अदरक, लहसुन जैसी जड़ों के ऊपर भिंडी या टमाटर और फिर बेलें लगाई जा सकती हैं। यह प्रक्रिया न सिर्फ स्थान की बचत करती है बल्कि पौधों की देखभाल भी आसान बनाती है।
डॉ. भार्गव बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंतित हैं और पेरेंट्स को सलाह देते हैं कि वे बच्चों के साथ मिलकर टेरेस गार्डनिंग करें। इससे बच्चों में पौष्टिक भोजन की आदत भी विकसित होगी और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता भी बढ़ेगी।
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