
वॉशिंगटन डीसी। चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने रविवार को अमेरिका से अपील की है कि वह रेसिप्रोकल टैरिफ की नीति को पूरी तरह खत्म करे। मंत्रालय ने एक तीखे बयान में कहा, “शेर के गले में बंधी घंटी को वही खोल सकता है जिसने बांधी हो। अमेरिका को अपनी गलतियों को सुधारते हुए एक बड़ा कदम उठाना चाहिए और आपसी सम्मान के रास्ते पर लौटना चाहिए।”
गौरतलब है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को अमेरिकी बाजार में स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर लगाए गए टैरिफ को आंशिक रूप से हटा दिया है।
अब भी ज्यादातर चीनी सामान पर 145% टैरिफ लागू
हालांकि अमेरिका ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स पर राहत दी है, लेकिन चीन का कहना है कि अभी भी उसके अधिकतर उत्पादों पर 145% तक का भारी टैरिफ लागू है। चीन इस छूट के असर का मूल्यांकन कर रहा है और टैरिफ नीति को गलत प्रथा बताते हुए इसके समूल अंत की मांग कर रहा है।
अमेरिका अगर अड़ा रहा तो देंगे कड़ा जवाब- चीन
शुक्रवार को चीन ने अमेरिका के उत्पादों पर टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया था। चीन ने कहा कि अगर अमेरिका उसके हितों का उल्लंघन करना जारी रखता है, तो वह मजबूती से जवाब देगा और अंत तक लड़ाई जारी रखेगा। इसके साथ ही चीन ने अन्य देशों से भी अपील की कि वे अमेरिका की आर्थिक धौंस के खिलाफ एकजुट हों।
इलेक्ट्रॉनिक्स पर छूट से अमेरिकी कंपनियों को राहत
अमेरिकी कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) ने एक नोटिस जारी कर बताया कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर, सोलर सेल, सेमीकंडक्टर, फ्लैश ड्राइव, फ्लैट पैनल टीवी डिस्प्ले जैसे उत्पाद अब टैरिफ के दायरे से बाहर हैं। इस फैसले को अमेरिकी टेक कंपनियों के लिए राहत की सांस माना जा रहा है, क्योंकि कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद चीन में बनते हैं।
एपल को सबसे ज्यादा फायदा
टैरिफ में मिली छूट से सबसे अधिक राहत टेक दिग्गज एपल को मिलती दिख रही है। पहले 1,000 डॉलर के एक आईफोन पर करीब 700 डॉलर का इम्पोर्ट टैक्स लग रहा था, जिससे कीमतों में भारी इजाफा हो गया था। चूंकि 90% आईफोन चीन में बनते हैं, ऐसे में टैरिफ छूट एपल के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
ये भी पढ़ें- अमित शाह का भोपाल में बड़ा ऐलान, बोले- सहकारी समितियां अब चलाएंगी पेट्रोल पंप; सांची और NDDB के बीच MoU