
मणिपुर में लगभग 21 महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। इससे पहले, 9 फरवरी को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था। बीरेन सिंह पर लंबे समय से हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लग रहा था और विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार से सवाल पूछ रहे थे।
बीरेन सिंह ने क्यों दिया इस्तीफा
मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा भड़क रही थी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हुए। हिंसा के बढ़ते मामलों, विपक्ष के दबाव और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के कारण बीरेन सिंह के लिए स्थिति कठिन हो गई थी।
इसके अलावा, हाल ही में उनका एक ऑडियो टेप लीक हुआ था, जिसका संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने लिया था। इस पूरे घटनाक्रम के चलते भाजपा के लिए भी उन्हें बचाना मुश्किल हो गया था। आखिरकार, उन्होंने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया।
ITLF ने की अलग प्रशासन की मांग
कूकी समुदाय की संस्था इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। ITLF के प्रवक्ता गिन्जा वूलजोंग ने कहा, “बीरेन सिंह ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव में हार के डर से इस्तीफा दिया है। लेकिन हमारी मांग केवल मुख्यमंत्री के इस्तीफे तक सीमित नहीं है। हमारी मुख्य मांग अलग प्रशासन की है।”
उन्होंने आगे कहा कि मैतेई समुदाय ने हमें पहले ही अलग कर दिया है, और अब हम पीछे नहीं हट सकते। बहुत खून बह चुका है और अब केवल एक राजनीतिक समाधान ही मणिपुर की समस्या का हल हो सकता है।
बीरेन सिंह ने हिंसा पर जताते हुए मांगी माफी
दिसंबर 2024 में, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मणिपुर में हुई हिंसा और उससे हुई मौतों पर माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि यह साल मणिपुर के लिए बहुत दुखद रहा। बीरेन सिंह ने सेक्रेटेरिएट में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, “3 मई 2023 से अब तक जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए मैं राज्य के लोगों से माफी मांगता हूं। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, कई को अपना घर छोड़ना पड़ा है। मुझे वास्तव में खेद है।”
क्या होता है राष्ट्रपति शासन
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। इसका मतलब है कि अब राज्य का प्रशासन केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहेगा और राज्यपाल उसका संवैधानिक मुखिया होंगे।। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, कानून-व्यवस्था केंद्र के नियंत्रण में होगी। नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति तक प्रशासनिक काम केंद्र सरकार संभालेगी। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, विधानसभा या तो भंग कर दी जाती है या उसका सत्रावसान (राष्ट्रपति द्वारा किए गए आदेश द्वारा सदन के सत्र को समाप्त करना) कर दिया जाता है।
मणिपुर में अगले विधानसभा चुनाव तक राजनीतिक अनिश्चितता बनी रह सकती है।
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