
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को संसद में नया इनकम टैक्स बिल पेश करेंगी। जिसको लेकर सरकार का कहना है कि, यह मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट-1961 को सरल बनाएगा और आम लोगों के लिए समझना आसान होगा। केंद्रीय कैबिनेट ने 7 फरवरी को इस बिल को मंजूरी दे दी थी। लोकसभा में पारित होने के बाद, इसे संसद की स्थायी वित्त समिति के पास आगे की रिव्यू के लिए भेजा जाएगा।
नया बिल मौजूदा कानून से छोटा है, लेकिन इसमें ज्यादा धाराएं और शेड्यूल हैं। 622 पन्नों के इस बिल में 23 चैप्टर और 536 धाराएं हैं, जबकि पुराने कानून में 298 धाराएं और 14 शेड्यूल थे। इस बिल में ‘कर निर्धारण’ और ‘पिछले वर्ष’ जैसे शब्दों की जगह ‘टैक्स ईयर’ शब्द का उपयोग होगा। संसद में इस बिल के अलावा वक्फ संशोधन विधेयक पर भी चर्चा होगी, जिस पर विपक्ष का विरोध जारी रहेगा।
बजट सेशन के पहले चरण का आखिरी दिन
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हुआ है। पहला चरण 31 जनवरी से 13 फरवरी तक और दूसरा चरण 10 मार्च से 14 अप्रैल तक होगा।
नए इनकम टैक्स बिल की बड़ी बातें
लोकसभा में सरकार नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश करेगी, जो 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा। 63 साल बाद आ रहे इस बिल में कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिनकी जानकारी बुधवार को जारी ड्राफ्ट में दी गई। इसमें टैक्स सिस्टम को आसान बनाने के लिए डिजिटलीकरण, टैक्स पेमेंट में सुधार और टैक्स चोरी रोकने के लिए कड़े नियमों का प्रस्ताव किया गया है। जानते हैं नए इनकम टैक्स बिल 2025 की 10 महत्वपूर्ण बातें:
बिल में पेजों की संख्या हुई कम
नए टैक्स बिल को आम लोगों के समझने के लिए पहले की तुलना में ज्यादा सरल और संक्षिप्त बनाया गया है। 1961 इनकम टैक्स बिल में 880 पेज थे, जिसीक जगह अब 622 पेज। जिसमें 536 धाराएं और 23 चैप्टर शामिल हैं।
‘Tax Year’ का नया कॉन्सेप्ट
नए बिल में टैक्स ईयर (Tax Year) का कॉन्सेप्ट लाया गया है। अब ‘असेसमेंट ईयर’ और ‘प्रीवियस ईयर’ की जगह ‘Tax Year’ का इस्तेमाल होगा। टैक्स भरने के दौरान टैक्सपेयर्स असेसमेंट और फाइनेंशियल ईयर को लेकर कन्फ्यूज होते थे, लेकिन अब इन्हें खत्म करते हुए सिर्फ टैक्स ईयर का इस्तेमाल होगा। उदाहरण के लिए, 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक का टैक्स ईयर 2025-26 होगा। इसका मतलब है कि, फाइनेंशियल ईयर के पूरे 12 महीने को अब टैक्स ईयर कहा जाएगा।
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी
सैलरीड कर्मचारियों के लिए पुराने टैक्स रिजीम में 50,000 रुपए की स्टैंडर्ड डिडक्शन और नए टैक्स रिजीम में ये डिडक्शन 75,000 रुपए तक मिलेगा। टैक्स स्लैब वही रहेंगे।
4 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 4 लाख 1 रुपए से 8 लाख रुपए तक 5%, 8 लाख 1 रुपए से 12 लाख रुपए तक 10%, 12 लाख 1 रुपए से 16 लाख रुपए तक 15%,16 लाख 1 रुपए से 20 लाख रुपए तक 20% टैक्स लगेगा।
CBDT को मिले नए अधिकार
नए बिल के तहत, CBDT को अब टैक्स योजनाएं शुरू करने का स्वतंत्र अधिकार मिलेगा। जिससे नौकरशाही में देरी की समस्या खत्म होगी। पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को विभिन्न टैक्स स्कीम्स को शुरू करने के लिए संसद से संपर्क करना होता था।
कैपिटल गेन टैक्स की दरें समान
सेक्शन 101 (b) के तहत 12 महीने तक की अवधि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा. इसके अलावा इसकी दरें भी समान रखी गई हैं। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20% और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 12.5% पर बरकरार रखा गया है।
पेंशन, एनपीएस और इंश्योरेंस पर टैक्स छूट
पेंशन, NPS, और इंश्योरेंस पर टैक्स डिडक्शन जारी रहेगा। इसके अलावा रिटायरमेंट फंड, पीएफ और ग्रेच्युटी पर भी छूट मिलेगी। ईएलएसएस म्यूंचुअल फंड में निवेश पर भी टैक्सा राहत दी जाएगी।
टैक्स चोरी पर कड़ी सजा
टैक्स चोरी करने वालों पर कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान है। आय छिपाने पर अकाउंट सीज किया जा सकता है और गलत जानकारी देने पर भारी जुर्माना लगेगा।
E-KYC और डिजिटल टैक्स पेमेंट
टैक्स प्रणाली को पारदर्शी और डिजिटल बनाने के लिए ई-केवाईसी और ऑनलाइन टैक्स पेमेंट अनिवार्य किया गया है। इससे टैक्स भुगतान में पारदर्शिता बढ़ेगी।
एग्रीकल्चर आय पर टैक्स छूट
कृषि आय को कुछ शर्तों के तहत कर-मुक्त रखा गया है। धार्मिक ट्रस्ट और दान पर भी टैक्स छूट दी जाएगी।
टैक्स से जुड़े विवाद कम करने के लिए ये चेंज
नया इनकम टैक्स बिल 2025 सरल, पारदर्शी और टैक्सपेयर्स के अनुकूल है। जो न केवल टैक्स सिस्टम को डिजिटल और प्रभावी बनाएगा, बल्कि टैक्स विवादों को भी कम करेगा। 1961 के टैक्स बिल में कई अस्पष्ट प्रावधानों के चलते टैक्सपेयर्स और सरकार के बीच विवाद देखने को मिलते रहे हैं और इनके चलते मुकदमेबाजी की संख्या भी लगातार बढ़ी है।
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