
प्रयागराज। एपल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ में तीन दिन तक भाग लिया और फिर अचानक प्रयागराज से भूटान के लिए रवाना हो गईं। 92 वर्षों बाद प्रयागराज से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट उड़ने का यह ऐतिहासिक अवसर रहा। जब लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ में भाग लेने के लिए भारत आईं, तो उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी।
महाकुंभ में 3 दिन प्रवास के बाद एपल को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल अचानक लौट गईं। उनके लिए 92 साल बाद प्रयागराज से इंटरनेशनल फ्लाइट उड़ी। 15 जनवरी की सुबह रॉयल भूटान एयरलाइंस की फ्लाइट प्रयागराज एयरपोर्ट पर लैंड हुई। इस दौरान एयरपोर्ट निदेशक मुकेश उपाध्याय और इमिग्रेशन विभाग ने लॉरेन की यात्रा से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी कीं।
सनातन धर्म की ओर झुकाव
महाकुंभ में अपने प्रवास के दौरान, लॉरेन पॉवेल ने निरंजनी अखाड़ा में भगवती मां काली के बीज मंत्र ‘ॐ क्रीं महाकालिका नमः’ की दीक्षा ली। निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने उन्हें दीक्षा देकर आध्यात्मिक मार्गदर्शन का आशीर्वाद दिया। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने लॉरेन को कमला नाम दिया। दीक्षा के बाद लॉरेन ने कहा, “सनातन परंपरा की गहराई और शांति ने मुझे भीतर से छुआ है। भगवती मां काली की साधना से मुझे आत्मिक शांति और नई दिशा मिली है।”
अमृत स्नान के दिन तबीयत बिगड़ी
अमृत स्नान के दिन लॉरेन पॉवेल की तबीयत खराब हो गई थी। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने बताया कि भीड़भाड़ और एलर्जी के कारण वह बीमार हो गईं थीं और उनके शिविर में आराम कर रही थीं। हालांकि, दीक्षा समारोह के दौरान वह पूरी तरह स्वस्थ नजर आईं।
महाकुंभ से पहले काशी विश्वनाथ के किए दर्शन
प्रयागराज आने से पहले लॉरेन ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए। गुलाबी सूट और सिर पर दुपट्टा ओढ़े लॉरेन ने गंगा में नौकायन का आनंद लिया और शिवलिंग को स्पर्श किए बिना गर्भगृह के बाहर से ही बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लिया।
स्टीव जॉब्स का कुंभ मेला जाने का सपना
1974 में स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त को एक पत्र लिखकर कुंभ मेले में शामिल होने की इच्छा जताई थी। हालांकि, वे कुंभ मेला नहीं आ सके। माना जा रहा है कि उनकी पत्नी लॉरेन ने उनकी इस अधूरी इच्छा को पूरा करने के लिए भारत का दौरा किया। स्टीव जॉब्स का यह ऐतिहासिक पत्र हाल ही में 4.32 करोड़ रुपए में नीलाम हुआ है।
प्रयागराज से 92 वर्षों बाद अंतरराष्ट्रीय उड़ान
लॉरेन पॉवेल का प्रयागराज से भूटान रवाना होना हवाईअड्डे के लिए ऐतिहासिक क्षण साबित हुआ। 1932 में प्रयागराज से लंदन के लिए उड़ान शुरू हुई थी, लेकिन इसके बाद यहां से कोई अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट नहीं चली। लॉरेन की यात्रा ने प्रयागराज हवाईअड्डे के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया।
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