
नई दिल्ली। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 साल की उम्र में निधन हो गया। जानकारी के अनुसार वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। कार्टर 1977 में आर फोर्ड को हराकर राष्ट्रपति बने थे और 1981 तक अमेरिका के राष्ट्रपति बने रहे। जिमी कार्टर को 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जिमी कार्टर का भारत से खास नाता रहा है और जब वे भारत दौरे पर आए थे तो हरियाणा के एक गांव भी गए थे। जिमी कार्टर के सम्मान में उस गांव का नाम बदलकर उनके नाम पर रख दिया गया था। राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिमी कार्टर के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता, राजनेता और मानवतावादी खो दिया है।
1837 के बाद डीप साउथ से आने वाले पहले राष्ट्रपति
राष्ट्रपति के रूप में कार्टर का कार्यकाल काफी उथल-पुथल वाला रहा। उनके कार्यकाल में अमेरिका में ऊर्जा की कमी और ईरान बंधक संकट शामिल था। कार्टर 1971 से 1975 तक जॉर्जिया के गवर्नर भी रहे। वे 1837 के बाद से डीप साउथ से आने वाले पहले राष्ट्रपति थे, और व्हाइट हाउस में लिंडन बी. जॉनसन और बिल क्लिंटन के कार्यकाल के बीच एकमात्र डेमोक्रेट निर्वाचित राष्ट्रपति थे।
कार्टर के सम्मान में हरियाणा के गांव का नाम कार्टरपुरी
जिमी कार्टर ने भारत दौरे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस घोषणा पत्र के साथ ही भारत और अमेरिका के बीच संबंधों का नया दौर शुरू हुआ था। जिमी कार्टर सेंटर के अनुसार, 3 जनवरी, 1978 को कार्टर और रोजलिन कार्टर नई दिल्ली से एक घंटे की दूरी पर स्थित हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे। दरअसल जिमी कार्टर की मां ने 1960 के दशक के अंत में पीस कॉर्प्स के साथ एक स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में इस गांव में काम किया था। जिमी कार्टर के गांव आने और उनके गांव से संबंध के बाद गांव के लोगों ने कार्टर के सम्मान में गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी कर दिया था।
भारत-अमेरिका की स्थायी साझेदारी की नींव रखी
जिमी कार्टर सेंटर ने एक बयान में कहा है कि कार्टर के भारत दौरे ने ही भारत-अमेरिका की स्थायी साझेदारी की नींव रखी, जिससे दोनों देशों को फायदा हुआ। कार्टर सरकार के बाद से अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा, मानवीय सहायता, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष सहयोग, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत, आतंकवाद विरोधी आदि क्षेत्रों में मिलकर काम किया है।