
भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा में संगठन चुनाव को लेकर बूथ स्तर का कार्यक्रम तो जारी हो गया लेकिन पार्टी का जोर इस बात पर है कि अध्यक्ष का चयन आम सहमति से ही हो। यही फार्मूला मंडल, जिला और प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में भी लागू होगा। 21 नवंबर तक बूथ स्तर के चुनाव का कार्यक्रम है। इसके बाद जिला और प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव का कार्यक्रम जारी होगा।
उपचुनाव के बाद आएगा कार्यक्रम
बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव हैं । 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसके बाद ही निर्वाचन का कार्यक्रम जारी किया जाएगा। नवंबर अंत तक जिलों में और दिसंबर में प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन होने की संभावना जताई जा रही है।
दो कार्यकाल के बीच रहा अंतर : भाजपा की स्थापना 1980 के बाद से अब तक किसी भी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लगातार दो कार्यकाल नहीं मिले। भाजपा की स्थापना के बाद से अब तक 3 अध्यक्षों (सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी और नरेंद्र सिंह तोमर) को दो कार्यकाल मिले लेकिन दोनों कार्यकाल के बीच अंतर रहा।
बात सन 2000 की…जब हुआ था प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर पिछले 24 साल से मतदान की स्थिति नहीं बनी। वर्ष 2000 में पार्टी के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में मौजूदा केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़े थे। वर्मा उस समय चुनाव में विजयी रहे थे। इसके बाद भाजपा संगठन ने सर्वानुमति से ही अध्यक्ष के चयन पर फोकस किया। जिलों में भी यही फार्मूला चल रहा है। इस बार भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर सर्वानुमति से ही चयन कर लिया जाएगा।
मतभेद और ईर्ष्या से बचेंगे
पार्टी में मतभेद, ईर्ष्या और ग्रुप न बने , इसके लिए आम सहमति के आधार पर अध्यक्ष का चयन करने का रास्ता निकाला है। कार्यकर्ताओं ने भी सर्वानुमति से पार्टी प्रमुख के निर्वाचन को स्वीकार किया है। – रघुनंदन शर्मा, पूर्व सांसद
सर्वानुमति बेहतर विकल्प
बेहतर चयन ही चुनाव प्रक्रिया का उद्देश्य है। वोटिंग, हाथ उठाने से लेकर मौखिक चुनाव प्रक्रिया का प्रावधान है। चर्चा के बाद अध्यक्ष का चयन बेहतर विकल्प है। -विवेक शेजवलकर,प्रदेश चुनाव अधिकारी