
नई दिल्ली। देश के जाने-माने अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का निधन हो गया है। उन्होंने 69 साल की उम्र में शुक्रवार (1 नवंबर 2024) सुबह करीब 7 बजे अंतिम सांस ली। एम्स दिल्ली की ओर से जारी बयान में के मुताबिक, उन्हें आंतों से जुड़ी बीमारी (इंटेस्टाइन इन्फेक्शन) था। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित श्री देबरॉय नीति आयोग के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने नई पीढ़ी के लिए सभी पुराणों का अंग्रेजी में आसान अनुवाद लिखा था।
पीएम मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देबरॉय के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि, ‘मैं डॉ. देबरॉय को कई सालों से जानता हूं। मैं उनकी अंतर्दृष्टि और अकादमिक चर्चा के प्रति उनके जुनून को हमेशा याद रखूंगा। उनके निधन से दुखी हूं। डॉ. बिबेक देबरॉय जी एक प्रखर विद्वान थे। वे अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य विविध क्षेत्रों में पारंगत थे। अपने कामों के जरिए उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। सार्वजनिक नीति में अपने योगदान के अलावा उन्हें हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम करने और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाना बहुत पसंद था।
जयराम रमेश ने भी जताया दुख
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी बिबेक देबरॉय के निधन पर दुख जताया है। जयराम ने सोशल मीडिया पर लिखा,’बिबेक देबरॉय सबसे पहले और सबसे अहम सैद्धांतिक और अनुभवी अर्थशास्त्री थे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के अलग-अलग पहलुओं पर काम किया और लिखा। उनके पास स्पष्ट व्याख्या करने का एक विशेष कौशल भी था, जिससे आम लोग जटिल आर्थिक मुद्दों को आसानी से समझ सकें। कई सालों से उनके पास कई संस्थागत जुड़ाव थे, उन्होंने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है।’
देबरॉय के बारे में जानें
देबरॉय को 2015 में पद्मश्री प्रदान किया गया था। देबरॉय (69) ने नरेंद्रपुर के रामकृष्ण मिशन स्कूल, कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज, पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स, दिल्ली के भारतीय विदेश व्यापार संस्थान में सेवाएं दी थीं।
वह कानूनी सुधारों पर वित्त मंत्रालय/यूएनडीपी परियोजना के निदेशक भी रहे। वह पांच जून 2019 तक नीति आयोग के सदस्य भी थे। उन्होंने कई पुस्तकों, शोधपत्रों और लेखों का लेखन/संपादन किया है और कई समाचार पत्रों के सलाहकार संपादक भी रहे। सितंबर में देबरॉय ने गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (जीआईपीई) के कुलाधिपति पद से इस्तीफा दे दिया था।
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