
यरुशलम। इजराइल ने ईरान पर हमले की योजना बना ली है। वह कभी भी ईरान पर हमला कर सकता है। हालांकि, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यह साफ किया है कि उनका देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम और तेल संयंत्रों को निशाना नहीं बनाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजराइल 5 नवंबर से पहले हमले को अंजाम दे सकता है। हिजबुल्लाह पर हुए हमले के बाद ईरान ने इजराइल पर हमला किया था, जिसके बाद से ही इजराइल बदला लेने के लिए बेताब है।
ईरान के मिसाइल हमले का बदला लेगा इजराइल
1 अक्टूबर को ईरान ने इजराइल पर 180 से अधिक बैलेस्टिक मिसाइलें दागी थीं। अधिकांश मिसाइलों को इजराइल और अमेरिका के एयर डिफेंस सिस्टम ने रोक लिया, लेकिन कुछ मिसाइलें सिस्टम को भेदने में कामयाब रहीं, जिससे दो इजराइली नागरिक घायल हो गए। इसी हमले का बदला लेने के लिए इजराइल ने ईरान पर जवाबी कार्रवाई करने की योजना बनाई है।
तेल और परमाणु संयंत्रों पर हमला नहीं करेगा इजराइल
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू ने घोषणा की है कि इजराइल, ईरान के तेल संयंत्रों और परमाणु कार्यक्रम पर हमला नहीं करेगा। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और नेतन्याहू के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, जिसमें बाइडेन ने भी परमाणु और तेल ठिकानों पर हमले का समर्थन करने से इनकार कर दिया।
अमेरिकी चुनावों पर असर नहीं डालने की रणनीति
इजराइल ने हमले की योजना इस तरह से तैयार की है कि इसका असर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर न पड़े। नेतन्याहू ने इस बात पर सहमति जताई है कि हमले का समय और तरीका ऐसा हो, जिससे डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को चुनावों में जनता की नाराजगी का सामना न करना पड़े। इसीलिए इस हमले का प्लान अमेरिका और इजराइल एक साथ मिलकर बना रहे हैं।
तेल संयंत्रों पर हमला न करने का कारण
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगर इजराइल ईरान के तेल संयंत्रों पर हमला करता है, तो इससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है। इससे अमेरिकी जनता में आक्रोश फैलने का खतरा है, जो आगामी चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है।