
मुंबई। भारतीय उद्योग जगत के सूर्य और महानायक रतन टाटा ने अपनी विरासत को अपनी सूझबूझ से एक नए मुकाम पर पहुंचाया। टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते रतन टाटा के नाम से आज टाटा समूह को जाना जाता है, लेकिन शुरुआत में किसी ने नहीं सोचा था कि वे इस उंचाई तक पहुंचेंगे। उन्होंने एअर इंडिया को फिर से टाटा एंपायर में शामिल किया। विदेशी लक्जरी कार कंपनी फोर्ड को अधग्रहित करके लैंडरोवर और जगुआर जैसी लक्जरी कारों को अपने पोर्टफोलियों में जोड़ा और अपने को नीचा दिखाने वाले फोर्ड को झुका दिया।
टाटा ग्रुप को इंटरनेशनल ब्रांड बनाया
रतन टाटा ने देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित टाटा ग्रुप को न केवल बुलंदियों पर पहुंचाया बल्कि उसे इंटरनेशनल ब्रांड बना दिया। अपने 21 साल के नेतृत्व में उन्होंने टाटा समूह के राजस्व में 40 गुना और लाभ को 50 गुना बढ़ाया। उन्होंने कई देशी विदेशी कंपनियों को अधिग्रहित करके भारत केंद्रित समूह को एक वैशिवक व्यवसाय में बदल दिया। कंपनी स्तर पर बहुत सारे हितकारी फेरबदल किए। टाटा को इंटरनेशनल ब्रांड बनाने के लिए कई कामों को छोड़ दिया और कई नए काम भी शुरु किए।
आज कंपनी का 65 प्रतिशत से अधिक राजस्व अन्तर्राष्ट्रीय बिक्री और परिचालन से आता है। 8 लाख कर्मचारियों वाले टाटा समूह का विशाल साम्राज्य आज 121 देशों में 30 लाख करोड़ की संपत्तियों के साथ कारोबार कर रहा है तो इन्हीकी बदौलत।

सिद्धांतों पर जीया जीवन
व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो अपने 86 साल का पूरा जीवन उन्होंने सिद्धांतों पर जीया। 3800 करोड़ की व्यक्तिगत नेटवर्थ और कोलाबा में 150 करोड़ के बंगले के बाद भी उनका नाम अमीरों की सूची में नहीं, बल्कि दानदाताओं की सूची में है। उन्के सामाजिक कामों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। 2008 में उन्होंने अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय को 50 लाख मिलियन डॉलर दान किए थे, जहां से उन्होंने आर्किटेक्ट की डिग्री ली थी। वे इस कॉलेज के इतिहास में सबसे बड़े दानकर्ता हैं।
दो बार पद्मभूषण से सम्मानित
सन 2000 में पद्मभूषण और फिर 2008 में पद्मविभूषण के अलावा में लंदन स्कूल आफ इनकामिक्स ने उन्हें मानद डाक्टरेट दी, 2009 में आर्डर आफ ब्रिटिश एंपायर से सम्मानित होने के साथ 2012 में उन्हें सर्वस्रेष्ठ सीईओ घोषित किया गया था। नेश्नल जियोग्राफिक के कार्यक्रम मेगा आईकन में एक एपीसोड दुनिया में रतन टाटा के योगदान पर केंद्रित था। वे मित्शुबिशी कार्पोरेशन, जे पी मार्गन जैसी कई वैश्विक कंपनियों के बोर्ड मेंबर और सलाहकार मंडल और न्यास के सदस्य भी रहे।
भारत के विकास के युगपुरुष हैं टाटा
एरोप्लेन उड़ाना, स्कूबा डाइविंग करना, पालतू जानवरों के साथ समय बिताना, हर साल छुट्टियों पर जाना भी उनके जीवन का नियम था। छात्र जीवन के समय अमेरिका में विमान उड़ाना सीखने के लिए उन्होंने एक समय छोटी-छोटी नौकरियां भी की थी। एफ 16 फाल्कन विमान उड़ाने वाले वे पहले भारतीय हैं। उनकी दूरदृष्टि ही थी कि उन्होंने जिन 40 से अधिक स्टार्टअप्स में निवेश किया था वे आज बड़े-बड़े ब्रांड नाम हैं। मन से आर्किटेक्ट और संगीत प्रेमी रतन टाटा की अनुपस्थिति भारतीय उद्योग जगत की बहुत बड़ी क्षति है, जिसे कोई पूरा नहीं कर सकता। वे भारत के विकास के युगपुरुष हैं।
वे देश के रतन थे
कारोबारी जगत में वे और उनकी कंपनी भरोसे का दूसरा नाम हैं। 86 साल की आयु में 7 अक्टूबर 2024 को उन्हें लो बीपी और उम्र संबंधी संमस्याओं के कारण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां 9 अक्टूबर 2024 की रात 11 बजे के लगभग उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया और अपने पीछे देश के लिए एक महान गौरव और समृद्ध विरासत छोड़ गए। दूरदर्शी, विनम्र, ईमानदार, कामयाब सभी विश्लेषण उनके लिए छोटे हैं। वे परोपकार और भरोसे के प्रतीक के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। रतन टाटा का पूरा जीवन देश के औद्योगिक और सामाजिक विकास को समर्पित रहा। वे सच्चे अर्थों में देश के रतन थे और देश की माटी से जुड़े थे।
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