
मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व वकील, संविधान एक्सपर्ट और लेखक अब्दुल गफूर नूरानी (A G Noorani) का निधन हो गया है। उन्होंने 93 साल की उम्र में मुंबई में अंतिम सांस ली। वे कानून के जानकार के साथ-साथ राजनीतिक टिप्प्णीकार भी थे। नूरानी को कानून, इतिहास और राजनीति विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता था। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं।
कौन थे नूरानी
- अब्दुल गफूर मजीद नूरानी का जन्म 16 सितंबर 1930 को मुंबई में हुआ था।
- नूरानी ने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज मुंबई से कानून की डिग्री हासिल की थी।
- साल 1953 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था।
- इसके बाद उन्होंने लंबे समय तक सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की थी।
- उन्होंने हाईकोर्ट में तमिलनाडु के पूर्व सीएम करुणानिधि की ओर से उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जे जयललिता के खिलाफ पैरवी की थी।
- कानून वकालतत की प्रैक्टिस के साथ-साथ उन्होंने अपना ज्यादातर समय कानूनी, सियासी और ऐतिहासिक विषयों पर लिखने में दिया।
- संवैधानिक मामलों की गहन जानकारी ने उन्हें भारतीय राजनीति और न्यायशास्त्र पर एक लोकप्रिय टिप्पणीकार बना दिया।
तीन दशकों तक लिखा “संवैधानिक प्रश्न” कॉलम
- नूरानी ने फ्रंटलाइन के अलावा इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली, द हिंदुस्तान टाइम्स और द स्टेट्समैन जैसे प्रमुख अखबारों में अपनी सेवाएं दी थी।
- उन्होंने “फ्रंटलाइन पत्रिका” के साथ अपना काम 1980 के दशक में शुरू किया था, जिसके बाद वे इसी मैगजीन के लिए लिखते रहे।
- उनके द्वारा लिखे गए कॉलम “संवैधानिक प्रश्न” तीन दशकों से ज्यादा समय तक चला।
- वे अपने माइक्रो रिसर्च और जटिल कानूनी मुद्दों के संतुलित विश्लेषण के साथ लिखने के लिए जाना जाते थे।
नूरानी की लिखीं मशहूर किताबें
नूरानी ने एक लेखक के रूप में भारतीय संवैधानिक कानून, सियासत और इतिहास के अलग-अलग पहलुओं पर एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिखीं। उनकी कुछ मशहूर किताबों के नाम कुछ इस तरह हैं-
- “द कश्मीर क्वेश्चन (1964)”
- मिनिस्टर्स मिसकंडक्ट (1973)
- कॉन्स्टिट्यूशनल क्वेश्चन एंड सिटीजन्स राइट्स (2006)
- द आरएसएस: ए मेनस टू इंडिया (2019)
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