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डायबिटीज, कब्ज समेत कई बीमारियों में कारगर है किवांच

केरल और यूपी सहित मध्य प्रदेश के 26 जिलों में बढ़ी मांग, 100 ग्राम की कीमत 300 रुपए तक पहुंची

मयंक तिवारी-जबलपुर। अपने दोस्तों को बचपन में शरारत करते हुए किवांच (कौंच) से अधिकांश लोगों ने परेशान किया होगा। तेजी से खुजली करने वाले इसके रेशे बदन लाल होने तक पीछा नहीं छोड़ते हैं। कुछ दशक पहले तक शायद ही कोई होगा, जिसने इसका प्रयोग दोस्तों पर न किया हो। किवांच का उपयोग होली में किया जाता था। होली में लोग इसे रंग या पानी में मिलाकर दोस्तों या परिचितों को लगाते थे। गोबर लगाकर नहाने के बाद ही इसका असर खत्म होता था।

बदलते दौर के साथ अब इसी किवांच की डिमांड इन दिनों लोगों की सेहत बनाने में बढ़ी है। आयुर्वेदाचार्यों का दावा है कि इसके बीजों का प्रयोग करने से कई बीमारियों में राहत मिल रही है। डिंडौरी के आदिवासी किसान सेवकराम मरावी ने बताया कि केरल, प.बंगाल, यूपी, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा सहित मप्र के 26 जिलों में अब डिमांड के मुताबिक किवांच भेजी जा रही है।

लगातार बढ़ा रहे पेड़

सेवकराम ने बताया कि कई व्यापारी भी हमारे क्षेत्रों में किसानों से संपर्क कर रहे हैं। किवांच के 100 ग्राम के लिए करीब 200-300 रुपए तक कीमत मिल जाती है।

चार प्रकार की होती है

सेवकराम ने जानकारी देते हुए बताया कि किवांच चार प्रकार की होती है काली, सफेद, पीली और हरी। पीली किवांच से खुजली होती है और यह डिंडौरी, मंडला, अनूपपुर, शहड़ोल के जंगलों में बहुतायत के साथ मिल जाती है।

ऐसे हैं फायदे

  • कब्ज की समस्या से छुटकारा।
  • सांसों की बीमारी में लाभ।
  • डायबिटीज में लाभ।
  • बढ़ती उम्र को रोकने में मदद।

किवांच के बीज को औषधीय दवाओं के रूप में लिया जाता है। किवांच में टॉक्सिन होता है, लिहाजा इसे शोधन करके आयुर्वेद चिकित्सकों की निगरानी में उपयोग करना चाहिए। – प्रोफेसर डॉ. ज्ञानेन्द्र तिवारी, जेएनके विवि, जबलपुर

आयुर्वेद में किवांच के बीज से विशेषतौर से पुरुषों में कमजोरी को दूर करने के लिए व पार्किंसंस रोग के उपचार के लिए किया जाता है, इसका सेवन आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए। – डॉ. गंगाधर द्विवेदी, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य

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