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पेयजल योजनाएं रहीं आधी-अधूरी, सरेंडर करनी पड़ी राशि

प्रदेश में स्वास्थ्य मिशन के नाम पर मिले 838.42 करोड़ रुपए, लेकिन समय पर खर्च नहीं

भोपाल। पेयजल संबंधी कई परियोजनाओं में आधा-अधूरा काम होने से विभागों को करोड़ों की राशि सरेंडर करना पड़ी है। वहीं यह भी हुआ कि कई विभागों ने आवंटित बजट से ज्यादा राशि खर्च कर दी। यहां तक की मुख्यमंत्री निवास परिसर में ऐनेक्सी के निर्माण के लिए बजट में 23.58 करोड़ रुपए मांगे गए थे जिसमें 4.08 करोड़ रुपए खर्च हो सकी। इस तरह से 18 विभाग ऐसे हैं, जो बजट में जितनी राशि मांगी थी, उतनी राशि खर्च नहीं कर पाए। इस मामले को लेकर महालेखा परीक्षक-सीएजी ने आपत्ति की है। सीएजी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि विभाग ये बजट तैयार करते समय अच्छी तरह से आकलन नहीं कर पाते हैं। आखिरी में इस राशि को बचत में रखा जाता है।

प्रदेश सरकार के 18 विभागों ने वर्ष 22-23 में 42 कामों के लिए 13,258.75 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया था। वित्तीय वर्ष तक इन विभागों ने 1,218.01 करोड़ रुपए खर्च नहीं किए। इसमें अकेले 838 करोड़ रुपए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और 47 करोड़ से अधिक की राशि पेयजल परियोजनाओं की है। राशि खर्च नहीं करने में पीछे कई विभागों का कहना था कि यह राशि बचत में है। कई विभागों में काम में देरी और तमाम तरह की अड़चनों के कारण राशि खर्च नहीं हो पाई। सीएजी ने टिप्पणी की है कि विभिन्न कार्यों का सही आंकलन किए बिना बजट ज्यादा आवंटित करा लिया गया, लेकिन राशि खर्च नहीं कर पाए। लोक निर्माण और सिंचाई विभाग भी खर्च करने में पीछे रहे।

ये हैं प्रमुख उदाहरण

1 . जेल विभाग : कैदियों के लिए जेल में बैरिक और वर्कशाप बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए का बजट आवंटित कराया था, इसमें 8 करोड़ 93 लाख रुपए ही खर्च किए जा सके।

2 . गृह विभाग: सांप्रदायिक दंगों में पीड़ितों की सहायता के लिए बजट में 2.10 करोड़ रुपए का प्रावधान कराया गया था, लेकिन 0.92 करोड़ रुपए ही खर्च हुए।

3. वन विभाग: विभाग ने अभयारण्यों और नेशनल पार्क में वन्य प्राणियों के रहवास विकास के लिए 2.66 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान कराया था, लेकिन पूरी राशि खर्च नहीं हुई।

4. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग : मुख्यमंत्री सुपोषण संजीवनी योजना में 21.03 करोड़ रुपए मांगे थे, लेकिन इसमें एक करोड़ 15 लाख रुपए खर्च नहीं किए गए।

5. उच्च शिक्षा विभाग : पीएचडी कर रहे विद्यार्थियों को सहायता राशि देने में विभाग पीछे रहा, जबकि महाविद्यालयों के लिए भवन निर्माण आवंटित बजट से करीब 21 करोड़ ज्यादा राशि खर्च किया गया।

खास बातें

  • सीएजी ने लगाई आपत्ति, कहावित्त विभाग ने वर्ष के अंत में जारी की घन राशि ।
  • मुख्यमंत्री निवास के ऐनेक्सी निर्माण की राशि भी हुई कम खर्च।

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