
अनुज मीणा- थिएटर से जुड़े हर व्यक्ति का सपना होता है, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से प्रशिक्षित होना क्योंकि यहां से निकलने के बाद थिएटर और बॉलीवुड में एंट्री के रास्ते खुलते हैं। इस बार मप्र की समृद्धि असाटी का चयन एनएसडी के लिए हुआ है। उन्होंने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की। समृद्धि ने प्रवेश सूची में चौथा स्थान प्राप्त किया है। समृद्धि कहती हैं, हर साल हजारों प्रतिभागी इसमें प्रवेश के लिए परीक्षा देते हैं, लेकिन कुछ ही सफल हो पाते हैं क्योंकि मुकाबला कड़ा होता है।
भारतीय छात्रों के लिए यहां तीन वर्षीय कोर्स में तीस ही सीट्स होती हैं। समृद्धि ने बताया कि वह मूलत: जबलपुर की रहने वाली हैं। फैमिली इश्यूज के चलते वह 2021 में जबलपुर से भोपाल आ गईं। एनएसडी के पुराने स्टूडेंट्स और इंटरनेट से सिलेबस डाउनलोड कर उसे पढ़ती थीं।
बचपन में पिता के गुजरने के बाद मां ने अकेले की परवरिश
समृद्धि ने बताया कि जब मैं काफी छोटी थी तभी मेरे पापा की डेथ हो गई थी। हम तीन बहनें है और मेरी मां ने हमें अकेले ही पाला है। घर में भी रुपए-पैसे की तंगी रहती थी। भोपाल आने के बाद पहले महीने तो पैसे के कारण काफी स्ट्रगल करना पड़ा, लेकिन बाद में थिएटर से पैसे मिलना शुरू हो गए। मेरा सपना एक अच्छी एक्ट्रेस बनना है।
छह नाटकों में काम के बाद ही लेते हैं एग्जाम
एनएसडी का एग्जाम तभी दे सकते हैं जबकि कम से कम छह नाटकों में काम किया हो और किसी नामी निर्देशका अनुशंसा पत्र मिले। फिर मैंने रिटन एग्जाम दिया। इसमें सिलेक्शन के बाद अगले चरण के लिए मुझे नाटक ययाति, पगला घोड़ा जैसे नाटकों की स्क्रिप्ट भेजी गई, जिससे सवाल-जवाब किए गए। इसके अलावा एक्टिंग, सिंगिंग व डांस का टेस्ट भी लिया गया। इसमें सफल होने के बाद वर्कशॉप के लिए बुलाया गया, जहां फील्ड विजिट कराकर जो देखा उससे जुड़ी एक प्रस्तुति तैयार करना होती है।