जबलपुर हाईकोर्ट से नकली रेमडेसिविर मामले में मुख्य आरोपी सरबजीत सिंह मोखा को जमानत मिल गई है। बता दें कि सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत मोखा पर शहर में नकली रेमडेसिविर मंगवाने और सप्लाई करने के आरोप हैं।
10 मई को हुई थी FIR
1 मई को गुजरात में नकली इंजेक्शन का भांडाफोड़ हुआ था। 6 मई की देर रात गुजरात पुलिस ने जबलपुर में दबिश देकर सपन जैन को गिरफ्तार किया। इसके बाद सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत मोखा के कारनामे उजागर हुए। पुलिस ने अस्पताल के दवा कर्मी देवेश चौरसिया को 8 मई को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया। इसके बाद एक के बाद एक आरोपियों के नाम सामने आए।
रिश्तेदार से मंगवाए थे इंजेक्शन
सरबजीत मोखा ने 500 इंजेक्शन सपन के माध्यम से सुनील मिश्रा से खरीदवाए थे। फिर रिश्तेदार से उसे अम्बे ट्रेवल्स के माध्यम से 23 और 27 अप्रैल को जबलपुर मंगवाए थे। इसमें 35 इंजेक्शन सपन ऐ रख लिए थे। इसे बाद में वह तिलवारा में फेंक गया था। मोखा ने 171 मरीजों को 209 इंजेक्शन लगाए थे। 15 की मौत हुई थी। 196 के लगभग टूटी शीशियां जब्त की थीं। आरोपियों के पास से 4 साबूत इंजेक्शन भी जब्त किए थे।
मोखा पर लगाया था NSA
जबलपुर पुलिस की अनुशंसा पर कलेक्टर ने सरबजीत मोखा और दवा कर्मी देवेश चौरसिया के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की थी। तीन महीने के लिए NSA लगाया गया था। जिसे तीन महीने के लिए और बढ़ाया गया था। जिसके तहत 12 अगस्त से 12 नवंबर तक दोनों को NSA में और निरूद्ध रहना पड़ा।
मामले में शामिल अन्य आरोपी
रेमडेसिविर मामले में सरबजीत मोखा की पत्नी जसमीत कौर, बेटा हरकरण मोखा, मैनेजर सोनिया खत्री, दवा कर्मी देवेश चौरसिया, इंजेक्शन खरीदने वाला सपन जैन, इंदौर में MR राकेश शर्मा, दलाल इंदौर निवासी सुनील मिश्रा, नकली इंजेक्शन बनाने वाले फार्मा के एमडी कौशल वोरा और पुनीत शाह, इंजेक्शन का रैपर तैयार करने वाला गुजरात निवासी नागेश उर्फ नागूजी आरोपी हैं।