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RAISEN NEWS: 30 दिनों की मशक्कत के बाद पकड़ा गया आदमखोर बाघ, 5 हाथी और 140 फॉरेस्ट गार्ड लगे थे तलाश में

रायसेन :  30 दिन की खोजबीन के बाद लोगों के लिए आतंक बने टाइगर को वन विभाग की टीम ने आखिर अपनी शिकस्त में ले ही लिया। इस टाइगर को पकड़ने के लिए कान्हा और पन्ना टाइगर रिजर्व से 5 हाथियों को बुलाया गया था, जो पिछले 10 दिनों से बाघ को तलाश रहे थे। इसके साथ ही वन विभाग के 140 फॉरेस्ट गार्ड और अधिकारी इस ऑपरेशन में लगे हुए थे।

सुरई के जंगलों में मिली लोकेशन

रायसेन मे विगत एक माह पहले तेंदूपत्ता तोड़ने गए मनीराम जाटव का शिकार करने वाले टाइगर को सुरई के जंगलों से खोज निकाला गया। इसके बाद इसे ट्रेंकुलाइज कर बेहोश कर पिंजरे मे कैद कर दिया गया है। विभाग का इस ऑपरेशन पर लगभग 25 लख रुपए से ज्यादा का खर्च आया।

बार-बार दे रहा था चकमा

ये टाइगर, वन विभाग की टीम को बार-बार चकमा देकर निकल जाता था। जिले के डीएफओ विजय कुमार ने बताया कि गुरुवार को बताया कि भले ही इसने इंसान पर हमला कर उसे मारा है, लेकिन ये टाइगर आदमखोर नहीं है। उनका कहना है कि आदमखोर बाघ वह होता है जो लोगों पर घात लगाकर और पीछा करके हमला करता है। विजय कुमार ने दावा किया कि बाघ के हमले की केवल एक घटना से उसके आदमखोर होने की पुष्टि नहीं होती क्योंकि इसके बाद उसने किसी अन्य इंसान पर हमला नहीं किया। यह भी तथ्य सामने आया कि यह बाघ महू के इलाके में सबसे पहले देखा गया था। वहां से इस साल की शुरुआत में यह बाघ गायब हो गया था और उसके बाद फरवरी से रायसेन के आस-पास दिखाई दे रहा था।

अब सतपुड़ा होगा टाइगर का नया ठिकाना

कान्हा और पन्ना टाइगर रिजर्व से हाथियों के अलावा बाघ पकड़ने वाले इस दल में वेटरनरी डॉक्टर्स समेत  140 लोग शामिल थे। इस ऑपरेशन की खास बात ये रही कि टाइगर को ट्रैक करने के लिए फोन कैमरे, थर्मल कैमरे और लाइव सीसीटीवी फुटेज का इस्तेमाल किया गया। बाघ दिखाई देने के बाद इसे पहले बेहोशी का एक इंजेक्शन लगाया गया, इसके तकरीबन डेढ़ घंटे बाद दूसरा इंजेक्शन बाघ को लगाया गया। दूसरा इंजेक्शन लगते ही बाघ बेहोश हो गया। वन विभाग ने इसे पकड़ने के बाद सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेज दिया है। यहां 5 दिन तक इसकी मॉनिटरिंग कर इसे जंगल में छोड़ा जाएगा।

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