
धर्म डेस्क। अब माता की विदाई के दिन नजदीक आने लगे हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्र के जरिए माता 18 दिनों तक पृथ्वी पर रहती हैं और इस दौरान उनकी विशेष उपासना करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। आज चैत्र नवरात्र का 8वां दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों में से आठवीं शक्ति महागौरी की पूजा की जाती है। अधिकांश घरों में इस दिन लोग माता की उपासना और कन्या पूजन के बाद अपने व्रत संपन्न करते हैं। भोपाल समेत प्रदेश भर में आज अष्टमी के अवसर पर देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है और जगह-जगह विशेष पूजा-अर्चना के साथ भंडारे का भी आयोजन हो रहा है।
अष्टमी पर इसलिए होती है महागौरी की पूजा
मां गौरी को पार्वती (अन्नपूर्णा) के रूप में पूजा जाता है। इनका रंग अत्यंत उज्जवल माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं और बैल की सवारी करती हैं। मां के स्वरूप की बात करें तो एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू, तीसरे हाथ में अभय और चौथा वरमुद्रा की स्थिति में होता है। एक हाथ में डमरू और बैल की सवारी के कारण इन्हें कई स्थानों पर शिवा भी कहा जाता है। मां का यह स्वरूप बेहद शांत है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार महागौरी की संगीत-भजन अत्यंत प्रिय है और शास्त्रों में लिखा गया है कि अष्टमी के दिन मां गौरी की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति के साथ प्रसन्नता, संपन्नता और दीर्घायु प्राप्त होती है।
ये हैं मां गौरी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती…
मां महागौरी मंत्र का प्रिय भोग
अष्टमी के दिन “या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता”… इस मंत्र से मां की पूजा करनी चाहिए। उन्हें भोग में नारियल और चीनी की मिठाई का सफेद रंग का भोग लगाना चाहिए। माता का प्रिय रंग सफेद ही है। इसलिए उन्हें इसी रंग के फूल भी अर्पित किए जाते हैं।
पूजा विधि –
• महा अष्टमी या दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े धारण करने चाहिए
• मां का ध्यान करते हुए उनकी प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराना चाहिए
• मां की अर्चना के साथ कलश की पूजा भी करनी चाहिए
• मां को सफेद रंग के वस्त्र पहनाने चाहिए, साथ ही उन्हें रोली और कुमकुम का तिलक लगाना चाहिए
• इस दिन नौ कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।
• घी का दीपक और धूप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ कर महागौरी मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।