
लिवरपूल। सांप के डसने पर एकमात्र इलाज एंटीवेनम होता है। इसके लिए जरूरी है कि एंटीवेनम उसी प्रजाति के सांप के जहर का होना चाहिए, जिसने काटा है। समस्या यह है कि कुछ लोगों को यह पता नहीं होता कि उन्हें किस प्रजाति के सांप ने काट है, वहीं कई मामलों में कुछ विशेष प्रजाति के सांपों के एंटीवेनम उपलब्ध नहीं होते हैं। लेकिन लिवरपूल विवि के स्टुअर्ट एन्सवर्थ और लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन की केमिली अबाडा और उनके सहयोगियों ने एक ऐसा एंटीवेनम बनाने की राह प्रशस्त की है जो सभी प्रकार के सांपों के जहर का उपचार करने में काम आएगा।
इस यूनिवर्सल एंटीवेनम के बारे में जानकारी साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्च पेपर में दी गई है। इसमें प्रयोगशाला निर्मित एंटीबॉडी की खोज और विकास के बारे में बताया गया है। यह दुनिया में कई प्रकार के सांप के जहर के न्यूरोटॉक्सिन को बेअसर कर सकता है।
घोड़ों को सर्प विष देकर बनाया जाता है एंटीवेनम : एंटीवेनम में सक्रिय तत्व एंटी-टॉक्सिन एंटीबॉडी होते हैं। इन्हें घोड़ों को थोड़ी मात्रा में सांप के जहर का इंजेक्शन देकर और एंटीबॉडीज एकत्रित करके बनाया जाता है।
लैब में बने विषनाशक से दूर होंगी कमियां
जेनेटिक रूप से संशोधित सेल्स का उपयोग करके लैब में बनाए गए एंटीबॉडी का उपयोग मनुष्यों में कैंसर और प्रतिरक्षा विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। लंबे समय से यह माना जाता है कि इन एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक का इस्तेमाल विषनाशक बनाने के लिए किया जा सकता है। यह पारंपरिक विषनाषक से अच्छा होगा।