भारतीय नौसेना में आज चौथी स्कॉर्पीन क्लास की सबमरीन को शामिल कर दिया गया है। आईएनएस वेला के शामिल होने से नौसेना की युद्ध शक्ति को बढ़ावा मिलेगा। प्रोजेक्ट 75 के तहत 6 पनडुब्बियों का निर्माण होना है, जिसमें से पहले ही 3 सबमरीन शामिल की जा चुकी थीं और ये चौथी सबमरीन शामिल की गई। नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने गुरुवार सुबह इसे शामिल किया गया।
INS Vela, the fourth Scorpene-class submarine, commissioned into the Indian Navy, in the presence of Chief of Naval Staff Admiral Karambir Singh, at the naval dockyard in Mumbai pic.twitter.com/7sfdO8t1FI
— ANI (@ANI) November 25, 2021
नौसेना को मिली दो बड़ी उपलब्धियां
पनडुब्बी को नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह की उपस्थिति में सेवा में शामिल किया गया। इससे पहले, नौसेना ने 21 नवंबर को युद्धपोत आईएनएस विशाखापट्टनम को सेवा में शमिल किया था। इस प्रकार नौसेना को एक सप्ताह में आईएनएस विशाखापट्टनम के बाद आईएनएस वेला के रूप में दो ‘उपलब्धियां’ हासिल हुई हैं। यह सबमरीन स्पेशल स्टील से बनी है, इसमें हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी के अंदर ज्यादा गहराई तक जाकर ऑपरेट करने में सक्षम है। इसकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी इसे रडार सिस्टम को धोखा देने योग्य बनाती है यानी रडार इसे ट्रैक नहीं कर पाएगा।
360 बैटरी सेल्स से 12000 किमी का रास्ता होगा तय
आईएनएस वेला में दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन लगाए गए हैं। इसमें 360 बैटरी सेल्स हैं। प्रत्येक का वजन 750 किलोग्राम के करीब है। इन्हीं बैटरियों के दम पर आईएनएस वेला 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय कर सकती है। यह सफर 45-50 दिनों का हो सकता है। ये सबमरीन 350 मीटर तक की गहराई में भी जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है। आईएनएस वेला की टॉप स्पीड की बात करे तो यह 22 नोट्स है। इसमें पीछे की ओर फ्रांस से ली गई तकनीकी वाली मैग्नेटिस्ड प्रोपल्शन मोटर है। इसकी आवाज सबमरीन से बाहर नहीं जाती है। इसीलिए, आईएनएस वेला सबमरीन को साइलेंट किलर भी कहा जा सकता है।
COVID was the toughest challenge of my tenure as Chief of the Naval Staff &tensions at the LAC was during that same period, so the challenge became tougher. It wasn't possible for us to maintain physical distancing on ships,but we battled everything: Navy Chief Adm Karambir Singh pic.twitter.com/ivxoy3MRHM
— ANI (@ANI) November 25, 2021
स्वदेशी पनडुब्बी है आईएनएस वेला
गौरतलब है कि भारत सरकार ने 2005 में फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप (पहले डीसीएनएस) के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत करार किया था। इस सौदे की कीमत 3.5 बिलियन यूएस डॉलर थी। इसी सौदे का पालन करते हुए आईएनएस वेला को भारत में तैयार किया गया है, यह एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत तैयार की गई है।
आईएनएस वेला में घातक हथियार
आईएनएस वेला के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात करें तो इसपर 6 टोरपीडो ट्यूब्स बनाई गई हैं, जिनसे टोरपीडोस को फायर किया जाता है। इसमें एक वक्त में अधिकतम 18 तोरपीडोस आ सकते हैं या फिर एन्टी शिप मिसाइल एसएम-39 को भी ले जाया जा सकता है। इसके जरिए माइंस भी बिछाई जा सकती हैं। सबमरीन में लगे हथियार और सेंसर हाई टेक्नोलॉजी कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े हैं। बता दें कि इससे पहले स्कॉर्पियन क्लास की छह पनडुब्बियों में से भारत को तीन पनडुब्बी आईएनएस कलवारी, खांडेरी और करंज पहले ही मिल चुकी हैं।
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