
वाशिंगटन। साल 2019 में कोविड महामारी ने पूरे दुनिया में कोहराम मचाया था। भारत में भी इस बीमारी की चपेट में आने से हजारों लोगों की जान गई। इस बीच अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एआई मॉडल विकसित किया है जो यह भविष्यवाणी कर सकता है कि कौन से सार्स-कोवी-2 वैरिएंट नए संक्रमण फैला सकते हैं। एमआईटी के स्लोअन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के रेटसेफ लेवी के नेतृत्व में एक टीम ने 9 मिलियन सार्स- कोवी-2 जेनेटिक सीक्वेंस का विश्लेषण किया। इसके आधार पर वैज्ञानिकों ने ऐसे कारकों का अध्ययन किया, जो वायरल प्रसार को प्रभावित कर सकते हैं।
अगले 3 महीनों के लिए खतरा बताएगा नया मॉडल
ये सीक्वेंस 30 देशों से ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग एवियन इन्फ्लुएंजा डेटा (जीआईएसएआईडी) द्वारा एकत्र किए गए थे। इस डाटा में टीकाकरण दर और संक्रमण दर भी शामिल है। हाल ही में पीएनएएस नेक्सस जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों के मुताबिक टीम ने इस विश्लेषण से उभरे पैटर्न का उपयोग करके एक मशीन लर्निंग-इनेबल्ड रिस्क असेसमेंट मॉडल बनाया है। यह दावा किया जाता है कि यह प्रत्येक देश में 72.8% ऐसे वैरिएंट का पता लगाता है जो अगले तीन महीनों में प्रति मिलियन लोगों में कम से कम 1,000 मामले पैदा करेंगे।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह काम एक विश्लेषणात्मक ढांचा प्रदान करता है, जो कई डाटा स्रोतों का लाभ उठाता है, जिसमें आनुवंशिक अनुक्रम डाटा और महामारी विज्ञान डाटा मशीन-लर्निंग मॉडल के माध्यम से शामिल हैं, ताकि नए सार्स- कोवी-2 वैरिएंट के प्रसार जोखिम पर बेहतर प्रारंभिक संकेत प्रदान किए जा सकें। वैज्ञानिकों ने इस दिशा में और अधिक शोध की मांग करते हुए कहा कि अन्य वायरसों की भी इससे पहचान की जा सकती है।
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