
भोपाल। गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल परेड मैदान में ‘विरासत से विकास’ थीम पर 22 विभागों की झांकियों का प्रदर्शन किया गया। इन झांकियों में पहला पुरस्कार विरासत से विकास के अमर नायक राजा भोजदेव पर केंद्रित झांकी को मिला। यह झांकी राजा भोज प्रभाग, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, संस्कृति विभाग ने तैयार की है। झांकी की अगवानी भील जनजाति के 16 कलाकारों ने की। झाँकी में विशेष आकर्षण राजा भोज की सिंहासन पर विराजमान प्रतिमा, भोजपुर मंदिर की प्रतिकृति, सर्वोत्तम प्राचीन लौह स्तम्भ है।
झांकी में भोजपुर मंदिर की प्रतिकृति
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि भोपाल के संस्थापक कवि, साहित्यकार, वैज्ञानिक, अद्वितीय योद्धा, वास्तुकार, खगोल और ज्योतिषविद् राजा भोजदेव इतिहास के एक अमर नायक हैं। झांकी में इन्हीं की सिंहासन पर विराजमान प्रतिमा और राजा भोजदेव द्वारा निर्मित भोजपुर मंदिर की प्रतिकृति दिखाई गई है। इसी के साथ धार स्थित भारत का सर्वोत्तम प्राचीन लौह स्तम्भ जिस की तीन खंडों में ऊँचाई 44 फिट है, उसकी भी प्रतिकृति लगाई गई। झाँकी में लौह स्तम्भ बनाने वाले अगरिया जनजाति के लोहार को भी दिखाया गया है।
राजा भोजदेव के स्वर्णिम कालखंड का परिचय
निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि राजधानी भोपाल के साथ-साथ भोजपुर को बसा कर धार और उज्जैन जैसे नगरों के शिल्पकार राजा भोजदेव के स्वर्णिम कालखंड का परिचय लघु फिल्म के माध्यम से एलईडी स्क्रीन पर दिखाया गया। फिल्म में भोपाल के बड़ा तालाब और छोटा तालाब का निर्माण, उज्जैन में 84 चौराहे और 84 महादेव मंदिर, धारा नगरी में 84 चौराहे, मंदिर और राजा भोजदेव की स्थापत्य कला को दर्शाया गया, जिसमें वाग्देवी भवन, जय स्तम्भ और धारागिरी उद्यान के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी दर्शाया गया है।
भोजदेव के न्याय दरबार की झलकी
आपको बता दें कि, धारागिरी लीलोद्यान में यंत्र- मानव, मकर और फव्वारे जैसे यांत्रिक उपकरण भी हुआ करते थे जिसकी झलकी भी झांकी के मध्य भाग में देखी जा सकती है। राजा भोजदेव ने अपने शासनकाल में व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष राजनीति, स्थापत्य के साथ संगीत, दर्शन और रत्न विज्ञान जैसे 84 से अधिक विषयों पर 100 से अधिक ग्रन्थों की रचना की। उनके न्याय दरबार की झलकी अंतिम भाग में कलाकारों के माध्यम से प्रदर्शित की गई है।