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प्रदेश के स्कूलों से 3.43 लाख छात्र गायब, कहीं भी नहीं लिया एडमिशन

सरकारी स्कूलों के सर्वाधिक 2.66 लाख स्टूडेंट्स ने छोड़ी पढ़ाई

भोपाल। छात्र-छात्राओं की स्कूली पढ़ाई पूरी करने की तमाम योजनाएं और अभियान नाकाफी साबित हो रहे हैं। शायद इसीलिए सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 3.43 लाख छात्र इस शिक्षण सत्र में ड्रॉप आउट हो गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 2.66 लाख छात्र सरकारी स्कूलों के हैं। प्रदेश में सबसे अधिक खरगोन जिले के 20 हजार से अधिक छात्रों ने ड्रॉप आउट किया है। इन छात्रों ने कहीं भी एडमिशन नहीं लिया है।

शिक्षा विभाग द्वारा हर वर्ष मैपिंग कराई जाती है। स्कूल में पास होने वाला छात्र कहीं भी एडमिशन लेता है तो वह समग्र आईडी से ट्रैक हो जाता है, लेकिन इस बार मैपिंग में सरकारी स्कूलों के 2.66 लाख छात्रों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। इसके अलावा ड्रॉप बॉक्स में शामिल छात्रों के एडमिशन का इंतजार है।

कोरोना काल के बाद 13.78 लाख छात्रों ने छोड़ा था स्कूल

कोरोना काल के बाद 2021-2022 में 13.78 लाख छात्रों ने स्कूल छोड़ा था। प्रदेश में इस बार 8.12 छात्रों की मैपिंग होना है। करीब 14 लाख ड्रॉप बाक्स छात्रों को चिह्नित किया जाना है।

सरकारी स्कूलों के सर्वाधिक ड्रॉप आउट छात्र वाले 5 जिले

खरगोन   20,049
बड़वानी  17,525
धार        15,646
सतना     14,887
बैतूल       8,762

छात्रों के ड्रॉप आउट होने के ये हैं प्रमुख कारण

  • जिलों के शिक्षकों और अधिकारियों द्वारा छात्रों को एडमिशन के लिए प्रेरित नहीं करना।
  • शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाना।
  • गरीब परिवारों द्वारा बच्चों को मजदूरी में लगाना।
  • मजदूरी के लिए परिजन का पलायन।
  • बच्चों का छोटे रोजगार में लगना।

स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों को नए-नए नाम दिए, लेकिन स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता या दर्ज संख्या बढ़ाने की दिशा में ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स को सरकारी स्कूलों से मोहभंग हो रहा है। दर्ज संख्या कम हो रही है। वहीं कई लोग आर्थिक तंगी के कारण बच्चों को अपने साथ काम में लगा लेते हैं। -रमाकांत पाण्डेय, शिक्षाविद

हर साल छात्रों की मैपिंग कर ड्रॉप आउट छात्रों की जानकारी एकत्र की जाती है। इस बार पिछले साल की अपेक्षा ड्रॉप आउट छात्रों की संख्या कम हुई है। जिन जिलों में छात्रों के एडमिशन कम हुए हैं, वहां जिलों के अधिकारियों ने अपेक्षाकृत मेहनत नहीं की है। अब डोर टू डोर ढूंढकर एडमिशन कराने के निर्देश दिए गए हैं। -धनराजू एस., संचालक, राज्य शिक्षा केन्द्र, भोपाल

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