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10 वर्ष में 2 लाख करोड़ खर्च, फिर भी मप्र के 9.5 हजार स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट नहीं

स्कूल शिक्षा विभाग की वार्षिक सर्वे रिपोर्ट, 400 स्कूल ऐसे, जिनके पास खुद की बिल्डिंग नहीं, 33 हजार स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर हालत में

रामचन्द्र पाण्डेय-भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकार पिछले 10 साल में स्कूलोें की स्थिति सुधारने पर 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर चुकी है, बावजूद व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं। करीब 400 स्कूल ऐसे हैं, जिनके खुद के भवन नहीं हैं। वहीं साढ़े नौ हजार से अधिक स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है। राजधानी भोपाल समेत जिन स्कूलों में शौचालय हैं भी तो सफाई नहीं होने से उनकी स्थिति खराब है। छात्राएं उनका उपयोग नहीं कर पातीं।

स्कूल शिक्षा विभाग की दिसंबर 2024 में आई वार्षिक सर्वे रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई। नतीजा यह कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में बच्चे सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ रहे हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार सरकारी स्कूलों में 5 लाख से अधिक छात्रों का नामांकन कम हुआ है।

शौचालय इतने गंदे कि अंदर नहीं जा सकते

राजधानी के स्कूलों में शौचालय तो बने हैं, लेकिन वे उपयोग लायक नहीं हैं। अधिकांश स्कूलों में पानी की व्यवस्था नहीं है। महीनों तक सफाई नहीं होने से ये अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। बानगी के तौर पर भोपाल जिले के बैरसिया के नायसमंद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को ही ले लें। यहां शौचालय तो बने हैं, लेकिन पानी की सुविधा ही नहीं है। गंदगी के कारण बच्चे इनमें जाना पसंद नहीं करते हैं। यह हाल तब है, जबकि इस स्कूल में 247 स्टूडेंट्स हैं और इनमें से 137 छात्राएं हैं।

  प्रदेश में स्कूलों की स्थिति

विभाग का सालाना बजट करोड़ रुपए      22,600
प्रदेश में स्कूलों की कुल संख्या                92,031
अधिक मरम्मत वाले स्कूल                     79,586
माइनर मरम्मत वाले स्कूल                     63,617
बिना भवन वाले स्कूल                           399
बिना बालिका शौचालय वाले स्कूल          9,620
बालक शौचालय सुविधा विहीन स्कूल       3,544

स्रोत : राज्य शिक्षा केंद्र की वार्षिक रिपोर्ट।

रिपोर्ट में ये भी

  • 67 हजार स्कूलों में टाट-पट्टी पर बैठ रहे बच्चे : स्कूलों में टेबल- कुर्सी की भी कमी है। रिपोर्ट के अनुसार, 67,450 स्कूलों में फर्नीचर की सुविधा नहीं है। इन स्कूलों में बच्चे अब भी टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। वहीं 33,724 स्कूलों की बिल्डिंग जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है।
  • साढ़े सात सौ स्कूलों को साइंस किट ही नहीं : प्रदेश के साढ़े सात सौ हायर सेकंडरी स्कूलों को अभी तक साइंस किट नहीं मिली है। 2,695 स्कूलों में इंटीग्रेटेड साइंस लैब नहीं है। 8,762 स्कूलों में टिंकरिंग लैब नहीं है।

वाशरूम में हमेशा गंदगी रहती है। न तो उसमें पानी है और न ही कभी सफाई होती है। इतनी बदबू आती है कि वहां जाने की इच्छा नहीं होती है, लेकिन मजबूरी में जाना पड़ता है। -शालिनी श्रीवास्तव (परिवर्तित नाम), छात्रा, शासकीय उमावि. नायसमंद, बैरसिया

स्कूलों के विकास और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इस तरह की कोई रिपोर्ट अभी मेरे समक्ष नहीं आई है। रिपोर्ट देखने के बाद ही इसके बारे में कुछ बता पाऊंगा। -उदयप्रताप सिंह, मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग

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