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आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा का अनावरण: सीएम शिवराज ने पत्नी संग की परिक्रमा; अद्वैत लोक की रखी आधारशिला

खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले स्थित एकात्म धाम ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत पर स्थापित आदिगुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का गुरुवार को अनावरण हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वामी अवधेशानंद गिरी और दूसरे संतों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच इसका अनावरण किया। पूजा के बाद उन्होंने प्रतिमा की परिक्रमा की। इसके साथ ही अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) की भी आधारशिला रखी। इस दौरान पत्नी साधना सिंह भी उनके साथ मौजूद रहीं। आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना भी की जा रही है।

5000 साधु-संत रहे मौजूद

5,000 साधु-संत, संन्यासियों, आचार्य व महामंडलेश्वर तथा 1,000 विद्वतजनों की उपस्थिति में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मूर्ति का अनावरण किया। इस विराट प्रतिमा को नर्मदा नदी के तट पर ओंकारेश्वर में स्थित मांधाता पर्वत के शिखर पर स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धार्मिक परंपराओं के अनुसार साधु-संतों और विद्वतजनों का स्वागत किया। इसके बाद मुख्यमंत्री और पूज्य संतों द्वारा वैदिक यज्ञ अनुष्ठान में आहुति दी।

21 कुंडिए हवन में शामिल सीएम

 

इस अवसर पर देशभर की शैव परंपरा के नृत्यों की प्रस्तुतियों के साथ ही भारतीय प्रदर्शनकारी शैलियों के कलाकारों द्वारा आचार्य प्रवर्तित पंचायतन पूजा परंपरा की प्रस्तुती दी गई। इसके बाद एकात्मता की मूर्ति का अनावरण किया गया। इसी दौरान मांधाता पर्वत पर बनने वाले अद्वैत लोक का भूमि एवं शिला-पूजन भी किया गया। 101 बटुकों द्वारा वेद मंत्रों के उच्चारण और शंखनाद के बीच मुख्यमंत्री चौहान और पूज्य संत एकात्मता की मूर्ति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित की।

एकात्मता की प्रतिमा स्थापित होगी प्रतिमा

सीएम शिवराज ने कहा कि, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक तथा भौगोलिक स्तर पर राष्ट्रीय एकता का सूत्रपात करने वाले साधक भगवान शंकराचार्य के आशीर्वाद से ओंकारेश्वर की पुण्य धरा पर ‘एकात्मता की प्रतिमा’ स्थापित हो रही है। यह प्रतिमा सम्पूर्ण विश्व को चैतन्य की सार्वभौमिक एकात्मता से आलौकित करेगी। 21 सितंबर को इस अलौकिक क्षण के साक्षी बनें।

108 फीट ऊंची बहु धातु प्रतिमा है

बता दें कि पहले चरण में आचार्य भगवान की प्रतिमा का अनावरण होगा, उसके बाद बाकी के कार्य प्रारंभ होंगे। यह प्रतिमा 12 वर्ष के किशोर शंकर की 108 फीट ऊंची बहु धातु प्रतिमा है, जिसमें 16 फीट ऊंचे पत्थर से बना कमल का आधार है, 75 फीट ऊंचा पेंडिस्टल का निर्माण है। वहीं प्रतिमा में 45 फीट ऊंचा शंकर स्तम्भ पत्थर पर उकेरे गए आचार्य शंकर की जीवन यात्रा को दर्शाता है। इस मूर्ति के निर्माण में 250 टन से 31 ग्रेड की स्टेनलेस स्टील का उपयोग हुआ है। साथ 100 टन मिश्रधातु कांस्य में 88 टन तांबा, 4 टन जस्ता और 8 टन टिन का मिश्रण है। इस प्रतिमा में कंक्रीट के पेडिस्टल को 500 वर्षों का जीवन दर्शाने के उद्देश्य से निर्मित किया गया है। इस मूर्ति में 12 वर्षीय किशोर आचार्य शंकर के भाव भंगिमाएं जीवंत रूप से दिखाई पड़ेंगी, जो जन मानस में एकात्म भाव का संचार करते हुए लोगों के जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देगी।

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