पीपुल्स संवाददाता, ग्वालियर। न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल की युगलपीठ ने सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए शासन से पॉलीथिन पर रोक लगाने के लिए अभी तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 13 सितंबर 21 तक मांगी है।
एडवोकेट भदौरिया के माध्यम से प्रस्तुत की गई इस जनहित याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा 18 मार्च 2017 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 जारी होने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने 24 मई 2017 को अधिसूचना जारी कर संपूर्ण मध्यप्रदेश में जनहित को देखते हुए पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। प्रतिबंध में प्लास्टिक के कैरीबेग, पॉलिथीन के निर्माण, भंडारण, परिवहन बिक्री तथा उपयोग पर रोक लगा दी थी। इस प्रतिबंध के बाद भी प्लास्टिक का उपयोग, निर्माण और भंडारण जारी है। प्लास्टिक के कारण शहर के ड्रेनेज सिस्टम, सीवर चेंबर जाम होते जा रहे हैं। नदी, नाले और जलाशय तो प्रदूषित हो रहे हैं, प्लास्टिक खाकर गायें भी हर रोज मर रहीं हैं।
याचिका में कहा गया कि शासन व प्रशासन इन प्रतिबंधों को लागू करने के लिए कतई तैयार नहीं है। इस कारण स्वच्छ भारत मिशन भी प्रभावित हो रहा है। हाईकोर्ट ने 20 फरवरी 20 को शासन द्वारा जारी प्रतिबंधों को लागू करने के साथ ही शासन को आठ दिशा-निर्देश जारी किए थे। उसमें शासन को हर तीसरे माह प्रगति रिपोर्ट भी अदालत में पेश करनी थी।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि डेढ़ साल पहले दिए गए आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस कारण शहर के हर छोटे बडे संस्थानों में प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। शासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जाने से लोग भी लापरवाही बरत रहे हैं इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है और हालात भयावह हो रहे हैं।