ताजा खबरराष्ट्रीय

Yati Nasinghanand Controversy : बतौर इंजीनियर मॉस्को और लंदन में किया काम, धर्म-राजनीति ने छीना परिवार; जानें क्यों हैं मुसलमान गुस्सा

लखनऊ। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के दो दिन बाद उन्हें शनिवार को यूपी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। हालांकि, उनकी गिरफ्तारी को लेकर अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उनके सहयोगियों ने भी कहा कि उन्हें गाजियाबाद में हिरासत में लिया गया है। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने किसी धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। इससे पहले भी वो ऐसे बयान देते आए हैं।

आइए आज जानते हैं यति नरसिंहानंद के रूस में इंजीनियरिंग करने से लकेर विवादित धार्मिक गुरू बनने तक की कहानी को…

हाल में दिया गया विवादित बयान

वैसे तो यति नरसिंहानंद अक्सर अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं लेकिन इस बार दिया गया उनका बयान अधिक गंभीर है। 29 सितंबर को वह गाजियाबाद के लोहियानगर हिंदी भवन में अमर बलिदानी मेजर आशाराम त्यागी सेवा संस्थान के कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने यहां पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा- ‘मेघनाथ और कुंभकरण को हम हर साल जलाते हैं। उनकी गलती ये थी कि रावण ने छोटा-सा अपराध किया। अगर आज के समय में जलाना है तो मोहम्मद के पुतले जलाना चाहिए।’ उनके इस बयान का वीडियो वायरल होने के बाद पूरे पश्चिमी यूपी में तनाव का माहौल बना हुआ है।

कैसे बने दीपक त्यागी से यति नरसिंहानंद

एक साधारण से परिवार में जन्मे यति नरसिंहानंद का जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और डासना मंदिर के महंत बनने तक का सफर न केवल धर्म, राजनीति और समाज में विवादों से जुड़ा रहा है, बल्कि नफरत भरे बयानों और हिंसात्मक घटनाओं ने भी उनकी पहचान को एक अलग रूप दिया। उन्होंने हिंदू धर्म के स्वाभिमान के नाम पर कई विवादित बयान और कार्य किए हैं, जिनसे वे अक्सर सुर्खियों में रहते हैं।

यति नरसिंहानंद का असली नाम दीपक त्यागी था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ। पांच भाई-बहनों वाले साधारण परिवार में वो बड़े हुए। उनके पिता सरकारी नौकरी में थे। 1989 में दीपक त्यागी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने रूस चले गए, जहाँ उन्होंने मास्को के इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग से केमिकल टेक्नोलॉजी का कोर्स किया। 1994 में ग्रेजुएट होने के बाद रूस और लंदन समेत कई देशों में काम किया। 1997 में जब उनकी मां बीमार पड़ी तो नरसिंहानंद भारत लौट आए। 2007 में गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर में पुजारी बने और संन्यास लेते समय उन्होंने अपना नाम दीपक त्यागी से बदलकर दीपेंद्र नारायण सिंह रखा। आगे चलकर उन्होंने फिर अपना नाम बदला इस बार वो यति नरसिंहानंद के रूप में पहचाने जाने लगे।

धर्म और राजनीति में प्रवेश, परिवार को नहीं आया रास

यति नरसिंहानंद का दावा है कि भारत लौटने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी से संपर्क किया और यूथ विंग का नेतृत्व करने की कोशिश की, लेकिन उनकी राजनीतिक यात्रा ज्यादा लंबी नहीं चल सकी। तीन महीने बाद ही उन्होंने पार्टी छोड़ दिया। इसी बीच साल 2000 में उनकी पत्नी और बेटी ने भी साथ छोड़ दिया। उनका परिवार चाहता था कि यति नरसिंहानंद राजनीति या धर्म में न जाएं, लेकिन वो नहीं माने। जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर और शिव शक्ति धाम डासना मंदिर के महंत बनने के बाद वे हिंदू धर्म के लिए आत्मरक्षा और धार्मिक प्रशिक्षण की दिशा में भी काम करने लगे। यति नरसिंहानंद के मुताबिक, वो जो भी काम करते, वे काम उनकी मां को कभी पसंद नहीं आए। उन्हें लगता था जो भी काम यति नरसिंहानंद करते हैं वो कोई काम नहीं है।

मुस्लिमों के प्रति नफरत की शुरुआत

नरसिंहानंद का मुसलमानों के प्रति नजरिया उनके समाजवादी पार्टी के दिनों से बदला। उसी दौरान उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई। उससे उन्हें लव जिहाद और मुसलमानों की कई कहानियों के बारे में पता चला। यह सब सुनकर उन्हें यकीन नहीं हुआ। इसके बाद ही उन्होंने इस्लाम का विरोध करना शुरू किया। वे इस्लाम को कैंसर बताते हैं और इसे धरती से खत्म करने की बात करते हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि वो ‘इस्लाम मुक्त भारत’ बनाने के लिए लड़ रहे हैं। इस्लाम को धरती से उखाड़कर नहीं फेंका गया तो यह पूरी धरती को बंजर बना देगी।

डासना मंदिर की चर्चित घटना

उनकी मुस्लिमों के प्रति घृणा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अप्रैल 2022 में एक मुस्लिम बच्चे की पिटाई सिर्फ इसलिए कर दी गई क्योंकि वो डासना मंदिर के अंदर लगे हैंडपंप से पानी पी रहा था। मंदिर का पानी पीने के कारण उसे बुरी तरह मारा गया। इस घटना के बाद यति नरसिंहानंद ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि बच्चा मंदिर खराब करने की कोशिश कर रहा था। मंदिर के बाहर भी लिखा हुआ है कि यह हिंदुओं का पवित्र स्थल है। यहां मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है।

पुलिस ने किया उपद्रवी घोषित, बन गए जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर

उत्तर प्रदेश पुलिस ने 2019 में यति नरसिंहानंद के विवादित और नफरती बयानों से तंग आकर गंभीर उपद्रवी घोषित कर दिया था, क्योंकि उनके बयान कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन रहे थे। इसी बीच 2021 में जूना अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर बना दिया, जो अखाड़ों का सर्वोच्च पद होता है।

भाजपा से नजदीकी और दूरी

यति नरसिंहानंद का भाजपा से भी संबंध रहा है। सपा छोड़ने के बाद उनका परिचय भाजपा के पूर्व सांसद बैकुंठ लाल शर्मा से हुआ। वो इस्लाम के बारे में असली सच जानने का श्रेय उन्हें ही देते हैं। यति नरसिंहानंद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थक रहे हैं और प्रज्ञा ठाकुर का भी समर्थन किया है। साल 2021 में भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी उनके लिए 25 लाख रुपये का चंदा जमा करने की अपील की थी। हालांकि, 2021 में महिला नेताओं के बारे में दिए गए विवादित बयान के बाद भाजपा नेताओं ने उनसे किनारा कर लिया।

यति नरसिंहानंद के विवादित बयान

अक्टूबर 2021 में सीतापुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इस्लाम मुक्त भारत बनाने का विवादित बयान दिया। इसके बाद दिसंबर 2021 में हरिद्वार में धर्म संसद में मुस्लिमों का नरसंहार करने की बात कही। हिंदू युवाओं को प्रभावित करते हुए लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के नेता प्रभाकर जैसे और भिंडरावाला जैसे बनने पर 1 करोड़ रुपए ईनाम देने का बयान दिया। 2021 में ही उन्होंने भाजपा महिला नेताओं को लेकर उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा था महिला नेता खासकर भाजपा में पुरुष नेताओं की ‘रखैल’ हैं। इस बयान के बाद ही भाजपा ने उनसे किनारा करना शुरू किया था। 2022 में दिल्ली में एक हिंदू महापंचायत में कहा कि अगर कभी कोई मुस्लिम इस देश का पीएम बन गया तो 20 सालों में 50 फीसदी हिंदूओं का धर्मांतरण हो जाएगा। जनवरी 2022 में ही मुस्लिम महिलाओं को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा कि मुस्लिम समाज इस्लाम को बढ़ाने के लिए अपनी महिलाओं का इस्तेमाल करता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन पर 20 से भी ज्यादा केस दर्ज हैं। इसमें हत्या की कोशिश, डकैती और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे मामले शामिल हैं।

ये भी पढ़ें- शादी के 12 साल बाद पूरी हुई मन्नत, मासूम बच्ची को ट्रॉली बैग में लिटा 118 किमी लंबी पदयात्रा पर निकला दंपती

संबंधित खबरें...

Back to top button