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Brij Bhushan Case : नाबालिग पहलवान के यौन शोषण केस में बृजभूषण को क्लीन चिट, दिल्ली पुलिस ने दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट; कोई सबूत नहीं मिले!

नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न मामले में बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली पुलिस ने एक हजार पन्नों की चार्जशीट पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल की। एक चार्जशीट 6 पहलवानों के आरोपों पर दाखिल की गई। वहीं, दूसरी नाबालिग के यौन शोषण के मामले में 550 पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट है। इस मामले में पुलिस से बृजभूषण को क्लीन चिट मिल गई है।

यौन शोषण के कोई सबूत नहीं मिले!

नाबालिग पहलवान के केस में दिल्ली पुलिस ने कैंसिलेशन रिपोर्ट में कहा- जांच में यौन शोषण के कोई सबूत नहीं मिले हैं। इसलिए इस केस को बंद कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि POCSO मामले में जांच पूरी होने के बाद इस मामले को रद्द करने की सिफारिश की गई है। शिकायतकर्ता यानी पीड़िता के पिता और स्वयं पीड़िता के बयानों के आधार पर ही पुलिस ने ये रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी है।

नाबालिग ने पहले लगाए आरोप, बाद में बदल दिए बयान

नाबालिग पहलवान ने बृजभूषण पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे, लेकिन बाद में बयान बदल दिए। नाबालिग ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने पहले बयान में यौन शौषण की बात कही थी। दूसरे बयान में नाबालिग ने यौन शौषण का आरोप वापस लेते हुए कहा कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ था मैंने बहुत मेहनत की थी, मैं डिप्रेशन में थी इसलिए गुस्से में यौन शौषण का मामला दर्ज करवाया था।

बता दें कि अब इस मामले में अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी। कोर्ट तय करेगा कि बृजभूषण के खिलाफ पॉस्को एक्ट में केस चलेगा या नहीं।

क्या है पूरा मामला

कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के नेतृत्व में तमाम पहलवानों ने मोर्चा खोल रखा है। पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। ये पहलवान जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से धरना दे रहे थे। पहलवानों ने बृजभूषण शरण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इससे पहले भी पहलवानों ने जनवरी में बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना दिया था। हालांकि, तब खेल मंत्रालय के दखल के बाद पहलवान वापस लौट गए थे।

बृजभूषण शरण सिंह पर FIR में लगे ये आरोप

दोनों एफआईआर में आईपीसी की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 34 (सामान्य इरादे) का हवाला दिया गया। जिसमें एक से तीन साल की जेल की सजा है। एक प्राथमिकी में 6 पहलवानों के आरोप शामिल हैं और इसमें डब्ल्यूएफआई सचिव विनोद तोमर का भी नाम है।

दूसरी एफआईआर एक नाबालिग के पिता की शिकायत पर आधारित है और POCSO अधिनियम की धारा 10 को भी लागू करती है, जिसमें पांच से सात साल की कैद होती है। जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है, वे कथित तौर पर 2012 से 2022 तक भारत और विदेशों में हुईं।

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