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लोकसभा की विनिंग सीटें, फिर भी हर बार नए चेहरे पर दांव लगाती है भाजपा

भोपाल, सागर, बालाघाट, ग्वालियर सहित 8 सीटों पर हर बार नए प्रत्याशी

भोपाल। प्रदेश में लोकसभा की आधा दर्जन से अधिक संसदीय क्षेत्र ऐसे भी हैं जो भाजपा के लिए विनिंग सीटें बनी हुई हैं। इसके बावजूद पिछले एक दशक से पार्टी यहां नए चेहरों पर दांव लगा रही है। इन सीटों में राजधानी भोपाल सहित बालाघाट, सागर, मुरैना, रतलाम, विदिशा, ग्वालियर और छिंदवाड़ा शामिल हैं। इस मुद्दे पर भाजपा का मानना है कि सामूहिक निर्णय की प्रक्रिया में हम प्रत्याशियों का चयन हार-जीत के बजाए जन-मन का ध्यान रखकर करते हैं।

छिंदवाड़ा एक अपवाद

कांग्रेस की पारंपरिक सीट छिंदवाड़ा पर जीत के लिए भाजपा हाईकमान ने पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी ने यहां जिलाध्यक्ष विवेक बंटी साहू को उम्मीदवारी सौंपी है। पार्टी यहां चेहरे बदलने का प्रयोग करती रही पर सफलता नहीं मिली। 2009 में मारोत राव खवासे, 2014 में चौधरी चंद्रभान सिंह और 2019 में नाथन शाह चुनाव मैदान में उतरे लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली।

भोपाल – इस सीट पर 2009 के चुनाव में पूर्व सीएम कैलाश जोशी ने भाजपा को जीत दिलाई थी। 2014 में नए चेहरे के बतौर आलोक संजर को मैदान में उतारा। संजर जीते। 2019 में नए चेहरे के रूप में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर आईं और अब पूर्व महापौर आलोक शर्मा मैदान में हैं।

ग्वालियर – इस सीट पर भी यही स्थिति बनी हुई है। 2009 में भाजपा ने यहां सिंधिया परिवार की यशोधरा राजे को मौका दिया था। 2014 में यहां नरेंद्र सिंह तोमर ने भाजपा की जीत सुनिश्चित की। 2019 में विवेक शेजवलकर को कमान सौंप दी। अब भारत सिंह कुशवाहा मैदान में हैं।

सागर – इस सीट पर भूपेंद्र सिंह , लक्ष्मीनारायण यादव, राजबहादुर सिंह के बाद अब भाजपा ने महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेड़े को प्रत्याशी बनाया है। विदिशा में दो दशक बाद भाजपा ने फिर शिवराज सिंह चौहान को रिपीट किया है। 2019 में रमाकांत भार्गव जीते थे।

मुरैना – मुरैना संसदीय क्षेत्र में भी सियासी बदलाव की बयार बहती रही। सामान्य सीट होते ही यहां से 2009 में नरेंद्र सिंह तोमर सांसद रहे। उनके बाद अनूप मिश्रा ने प्रतिनिधित्व किया। 2019 में तोमर को कमान सौंपी गई। इस बार शिव मंगल सिंह तोमर को उम्मीदवारी सौंपी गई है।

बालाघाट – इस सीट पर हर बार भाजपा ने नए चेहरे पर भरोसा जताया। 2009 में केडी देशमुख, 2014 में बोधसिंह भगत और उनके बाद 2019 में ढाल सिंह बिसेन ने लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। पार्टी ने पहली बार महिला प्रत्याशी और नया चेहरा डॉ. भारती पारधी को मैदान में उतारा है।

जन-मन को देख कर चयन

भाजपा किसी भी चुनाव को हारजीत के आइने में नहीं देखती। प्रत्याशियों का चयन और बदलाव जन- मन को ध्यान में रखकर किया जाता है। – डॉ हितेष वाजपेयी, प्रवक्ता मप्र भाजपा.

टिकट कटने का अफसोस नहीं

मुझे चुनाव में अपने टिकट कटने का कोई मलाल नहीं। पार्टी ने मुझे मेरी औकात से ज्यादा दिया। – आलोक संजर , पूर्व सांसद

मेरी भूमिका पार्टी तय करेगी

केंद्रीय नेतृत्व का निर्णय सर्वोपरि, गुना सीट पर इस बार माननीय ज्योतिरादित्य सिंधिया को उपयुक्त पाया होगा। मैं कार्यकर्ता भाव से काम करता हूं। मेरी अगली भूमिका पार्टी तय करेगी। -केपी सिंह यादव, सांसद गुना

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