विजय एस गौर। दिसंबर महीना बीतने को है और प्रदेश में अभी तक कड़ाके की ठंड नहीं पड़ी है। ज्यादातर जिलों में तापमान 10 डिग्री के आसपा है। ऐसे में रबी फसलों की अपेक्षित ग्रोथ नहीं होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गई हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय तक चना, मसूर सहित अन्य दलहनी फसलों में फूल आ जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आगे इसका असर पैदावार पर पड़ सकता है।
आलम यह है कि जिन इलाकों में सिंचाई हो सकी है, वहां चना, मसूर आदि में फूल आ गए हैं, लेकिन बिना सिंचाई वाले इलाकों में खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। इनमें लगा चना पीला पड़ने लगा है। यही हाल गेहूं का है। ठंड कम पड़ने से गेहूं की ऊंचाई औसत से कम और पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, रबी की फसलों की ग्रोथ के लिए ठंड जरूरी है, लेकिन इस साल औसत तापमान बीते सालों की अपेक्षा कम ही रहा है।
किस फसल की कितनी बोवनी
फसल | बोवनी |
गेहूं | 29.14 लाख हेक्टेयर |
चना | 13.77 लाख हेक्टेयर |
मटर | 2.19 लाख हेक्टेयर |
मसूर | 4.54 लाख हेक्टेयर |
कुल बोवनी | 56.65 लाख हेक्टेयर |
बाली आने की आशंका
कृषि विभाग के सहायक संचालक एलबीएस चौहान का कहना है कि रबी फसलों की ग्रोथ के लिए ठंड बहुत जरूरी है। चूंकि, इस साल अब तक तेज ठंड नहीं पड़ी है, इसलिए गेहूं पीला पड़ने लगा है और ग्रोथ कम है। यही हाल रहा तो गेहूं में दाने कम और पतले होंगे।
अधिक बना हुआ है तापमान
मप्र में हर साल दिसंबर के आखिरी हफ्ते तक तापमान 1 से लेकर 4 डिग्री के आसपास हो जाता था, जो कि रबी फसलों के लिए आदर्श स्थिति कही जाती है। हालांकि, इस साल दिसंबर अंत तक कुछ इलाकों को छोड़कर तापमान 9 से 10 डिग्री के आसपास ही बना हुआ है। यह पिछले साल से काफी अधिक है।
अब मावठे का सहारा
खजूरिया रायसेन के किसान जाहर सिंह लोधी कहते हैं – ठंड नहीं पड़ने से 15 नवंबर के बाद की बोवनी वाले गेहूं, चना और मसूर की बढ़वार मारी जा रही है। करीब सवा फीट ऊंचाई पर आने के पहले ही दो बार सिंचाई कर चुके हैं। पीलापन नहीं जा रहा, अब तो फसलों को मावठ ही बचा सकता है।
दिसंबर मध्य तक ठंड तेज हो जाती थी। क्रिसमस के आसपास शीतलहर का प्रकोप भी शुरू हो जाता था। इस साल तापमान नीचे नहीं जा रहा है। हालांकि, अनुमान है कि जनवरी में कड़ाके की ठंड पड़ेगी।
– डॉ. एसएस तोमर, वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, सीहोरसर्दियों में फसलें ओंस से पानी अवशोषित करती हैं, जिससे नमी बनी रहती है। ज्यादा तापमान से पत्तियां जल्दी मुरझाने लगती हैं। उन पर पीलापन आ जाता है और पैदावार प्रभावित होती है।
– डॉ. स्वप्निल दुबे, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, नकतरा, रायसेन