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BIMSTEC के 25 साल : शिखर सम्मेलन में PM मोदी बोले- बिम्स्टेक के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे

5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिम्सटेक की स्थापना का ये 25वां वर्ष है इसलिए आज के समिट को मैं विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानता हूं। इस लैंडमार्क समिट के परिणाम बिम्सटेक के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे। हमारे लिए क्षेत्रीय सुरक्षा सबसे अहम हो गई है। पिछले 2 सालों के चुनौतीपूर्ण माहौल में राष्ट्रपति राजपक्ष ने बिम्सटेक को कुशल नेतृत्व दिया है। आज के चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिप्रेक्ष्य में से हमारा क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। हम अभी भी कोरोना के दुष्प्रभावों को झेल रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहीं ये बातें

  • यूरोप में हाल के घटनाक्रमों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसलिए क्षेत्रीय सहयोग हमारी प्राथमिकता बन गई है। आज हम इसके लिए संस्थान की संरचना विकसित करने के लिए बिम्सटेक चार्टर अपना रहे हैं ताकि आने वाले समय में हमारी स्थिति मजबूत रहे।
  • बिम्सटेक के बजट को बढ़ाने के लिए भारत 7.6 करोड़ रुपये देगा। इसका मुख्य उद्देश्य बिम्सटेक सचिवालय की क्षमता को मजबूत करना है। महासचिव इसके लिए एक रोडमैप तैयार करें।
  • नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की बिम्सटेक स्कॉलरशिप का विस्तार करने पर हम काम कर रहे हैं। हम आपराधिक मामलों के लिए आपसी कानूनी सहायता पर एक संधि पर भी हस्ताक्षर कर रहे हैं।
  • बंगाल की खाड़ी को कनेक्टिविटी और सिक्योरिटी का जरिया बनाने का समय आ गया है। मैं सभी बिम्सटेक देशों का आह्वान करता हूं कि वे 1997 में एक साथ हासिल किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नए उत्साह के साथ काम काम करें।

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बिम्सटेक में ये देश हैं शामिल

बिम्सटेक(BIMSTEC) बंगाल की खाड़ी के देशों पर केंद्रित एक क्षेत्रीय सहयोग मंच है। भारत की पहल पर जून 1997 में ‘बिस्ट-ईसी’ समूह (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) की स्थापना के साथ शुरू हुआ था। बाद में म्यांमार, नेपाल और भूटान के प्रवेश के बाद ‘बिम्सटेक’ समूह गठित हुआ। इस समय श्रीलंका BIMSTEC का अध्यक्ष है। अब यह जिम्मेदारी इस शिखर सम्मेलन में थाइलैंड को सौंपी जाएगी।

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