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ट्रंप की टैरिफ नीति से अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजारों में बरकरार है अनिश्चितता, क्या है समाधान?

ज्योतिर्मय सिंह गौर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में लागू की गई नई टैरिफ और व्यापार नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजारों में जबरदस्त उथल-पुथल देखने को मिली है। अमेरिका ने चीन से आयात किए जाने वाले कई उत्पादों पर 145% तक टैरिफ लगाया गया है, वहीं जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर 125% तक जवाबी टैरिफ लगा दिए हैं। अमेरिका ने सिर्फ चीन पर नहीं बल्कि भारत पर 26% टैरिफ समेत कई देशों पर टैरिफ थोपा है, जिसके बाद से ही दुनियाभर के देशों के बाजार में अस्थिरता देखी जा रही है। इस टैरिफ टकराव ने वैश्विक व्यापार संबंधों को जटिल बना दिया है और निवेशकों के बीच गहरी चिंता भी बढ़ा दी है।

अभी यह टैरिफ वॉर की है शुरूआत

अमेरिका ने यह कदम अपने उद्योगों की रक्षा और व्यापार घाटा कम करने के उद्देश्य से उठाया है। लेकिन इससे कई बड़े व्यापारिक साझेदार नाराज हो गए हैं और उन्होंने या तो अमेरिका पर जवाबी शुल्क लगा दिए हैं या फिर चेतावनी दी है कि वे जल्द ही ऐसा करेंगे। इस व्यापार युद्ध के डर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास गति पर असर डाला है और शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।

अमेरिकी शेयर बाजारों पर असर

अमेरिकी शेयर बाजारों में शुरुआत में गिरावट दर्ज की गई, खासकर उन कंपनियों के शेयर गिरे जो आयातित सामानों पर निर्भर हैं या जिनका व्यापार वैश्विक स्तर पर फैला हुआ है। टेक्नोलॉजी और रिटेल (खुदरा) क्षेत्र की कंपनियां ज्यादा प्रभावित हुईं क्योंकि इनका कारोबार वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर करता है। हालांकि, कुछ घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के शेयरों में हल्की बढ़त भी देखी गई, जिन्हें इस टैरिफ नीति से फायदा होने की उम्मीद है। हालांकि, बीते दिनों अमेरिकी शेयर बाजारों के NASDAQ और DOW और S&P 500 में खासा गिरावट देखने की मिली है।

एशियाई बाजारों में भारी गिरावट

चीन अमेरिका की टैरिफ नीति का मुख्य निशाना बना है, वहां के शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों को डर है कि यह व्यापार तनाव चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को धीमा कर सकता है, जिससे पूरे एशियाई क्षेत्र पर असर पड़ेगा। जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य एशियाई देशों के बाजारों में भी गिरावट देखी गई क्योंकि इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं भी वैश्विक व्यापार पर निर्भर हैं।

यूरोपीय बाजारों पर असर

यूरोप के प्रमुख शेयर बाजारों जैसे जर्मनी, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम के सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई है। यूरोपीय संघ ने अमेरिका की टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना की है और संभावित जवाबी कार्रवाई की बात कही है। इससे व्यापार युद्ध और बढ़ने की आशंका है। यूरोपीय कंपनियां वैश्विक व्यापार में अहम भूमिका निभाती हैं, वो भी इस अनिश्चितता से चिंतित हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति अभी और बिगड़ सकती है और आने वाले हफ्तों व महीनों में शेयर बाजारों में और भी अस्थिरता देखी जा सकती है। निवेशकों को सतर्क रहने और अपने निवेश को विविधता देने की सलाह दी जा रही है। अगर अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक बातचीत में कोई सकारात्मक परिणाम निकलता है, तो बाजारों को कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन फिलहाल माहौल अनिश्चितता से भरा हुआ है।

हालांकि, बीते दिनों दुनियाभर के शेयर बाजारों में उछाल देखने को मिला है, लेकिन इसे लेकर निवेशक बिल्कुल भी सकारात्मक रवैया नहीं अपना रहे। जब तक टैरिफ वॉर का समाधान नहीं होगा, तब बाजार में अनिश्चितता बनी रहेगी।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक जैसी वैश्विक वित्तीय संस्थाओं ने भी बढ़ते व्यापार तनाव पर चिंता जताई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस तरह की संरक्षणवादी नीतियों से वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इन संस्थाओं का मानना है कि अगर देश आपस में सहयोग के बजाय टकराव का रास्ता अपनाते हैं, तो इसका बुरा असर सभी देशों पर पड़ेगा।

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