भोपाल। समय सुबह 8 बजे....कई पुरुष, महिलाएं और बच्चे हाथ में कुप्पी, बर्तन लेकर घर से निकल पड़े। उनके पीछे कई बैलगाड़ियां, साइकिल और बाइक भी जा रही थीं। इनमें खाली बर्तन थे। करीब दो किमी चलने के बाद ये सभी एक जगह पर रुक जाते हैं और उनमें से एक बिना मुंडेर के बने कच्चे कुएं में उतर जाता है। इस कुएं में मटमैला, गंदा पानी भरा था। वे इसी को अपने बर्तन में भरते हैं। इसके बाद दूसरा, तीसरा...और क्रम सुबह 10 बजे तक चलता रहता है। दरअसल यह दिनचर्या सीहोर जिले के बिशनखेड़ी गांव के लोगों की है।
छानकर पीते हैं पानी : गांव की रहवासी सगुनबाई ने बताया कि ‘हम कुएं से पानी लाते हैं फिर उसे छानकर पीते हैं, क्या करें मजबूरी है।’
लोगों ने घरों में शौच करना छोड़ा : बिशनखेड़ी के रामसिंह ने बताया कि पानी कम होने से ज्यादातर लोग खुले में शौच जाने लगे हैं। एक महिला ने बताया कि हमारे घर में शौचालय तो हैं पर हम खुले में जाते हैं, जिससे पानी कम खर्च हो।
इस गांव से 30 किमी दूर 3,000 की आबादी वाला खामलिया है। कुछ इसी तरह के हालात यहां भी हैं। गांव के महिलाएं पास के खेत में लगे ट्यूबवेल पर पानी भरने जाती थी। खेत मालिक ने मना किया तो रविवार को उन्होंने पंचायत भवन का घेराव कर दिया था।
गांव में पानी की समस्या तो है। इसी को देखते हुए गांव में एक हैंडपंप का खनन और करा रहे हैं। हालांकि गांव के 4 हैंडपंप और चल रहे हैं। -प्रदीप सक्सेना, ईई पीएचई
अशुद्ध पानी पीने का सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इससे हैजा, पीलिया, पेचिश, गले का रोग, टायफाइड जैसी बीमारियां होने की आशंका रहती है। पानी में फ्लोराइड, आयरन के साथ और भी अलग- अलग तत्व की मात्रा ज्यादा होने से दांत का रंग बदल सकता है। दूषित पानी के सेवन से चर्म रोग, डायरिया, दस्त, बुखार आदि का खतरा हो सकता है। -डॉ. प्रणव रघुवंशी, सीनियर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट
(इनपुट-विक्रांत गुप्ता)