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लैंप पर दिखा ग्वालियर का किला और इंदौर का राजवाड़ा, छात्राओं ने बनाई रेडी-टू-वियर साड़ी

फर्नीचर हो या होम डेकोर सभी में डिजाइनर्स अपनी क्रिएटिविटी लगाकर ग्राहक कुछ नया देने का प्रयास करते हैं, लेकिन जब यही प्रयास आर्किटेक्चर के स्टूडेंट्स करें तो बात खास होती है। ऐसा ही एग्जीबिशन गुरुवार को शासकीय महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज में देखने को मिली, जहां आर्किटेक्चर और फैशन टेक्नोलॉजी की छात्राओं ने सिल्क के साथ कुछ नए प्रयोग करके अनूठे डिजाइन्स बनाए है। स्टूडेंट्स ने डेकोरेशन के आइटम लैंप, टेबल रनर, पार्टिशन और कुशन, कर्टन्स आदि सिल्क के साथ तैयार किया। इस एग्जीबिशन का उद्घाटन मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा मनु श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मदन विभीषण नागरगोजे ने की। प्रदर्शनी में रवींद्र सिंह, सुजाता रायजादा उपस्थित रहीं। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. केवी राव, डॉ. स्वति श्रीवास्तव, डॉ. सुषमा गोखले, डॉ. अंजू चौरसिया, डॉ. आराधना हंस, आरती लाड के नेतृत्व में छात्राओें ने इनको तैयार किया। यह प्रदर्शनी सिल्क फेडरेशन और महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई है, जो 19 दिसंबर तक चलेगी।

एक महीने में तैयार की साड़ी

एग्जीबिशन में छात्राओं द्वारा बेहद खास वर्किंग विमेंस के लिए रेडी-टू-वियर साड़ी डिजाइन की गई है। इस साड़ी की खास बात यह है कि इसमें एक पॉकेट भी है। इस साड़ी को डिजाइन करने में छात्राओं कों एक से डेढ़ महीने का समय लगा था। इस साड़ी को मयूरी मिश्रा और अनुश्रेया भदौरिया ने मिलकर तैयार किया है। मयूरी ने बताया कि इसके अलावा हमारी टीम ने जैकेट भी तैयार किए हैं। सिल्क से तैयार किया गया डबल बेड का हेड बोर्ड इन छात्रों ने एक खास तरह से सिल्क के साथ डिजाइन किया है।

सिल्क फेब्रिक से बने हेरिटेज दिखाते लैंप

आर्किटेक्चर की छात्राओं ने मिलकर कई सारे डिजाइनर फर्नीचर तैयार किए हैं। छात्राओं ने बताया कि सिल्क से हमने लैंप, पार्टिशन, टेबल रनर को डेकोरेटिव तैयार किए हैं। टेबल रनर में ओडिशा का पट्टचित्र बनाया है, वहीं लैंप में सिल्क के कपड़े पर ग्वालियर का किला और इंदौर का राजवाड़ा पेंटिंग से उकेरा है। क्लासिक टाइल्ड एंड टेबल के साइड में भील और गोंड चित्रकारी की है।

वर्कशॉप से मिली एग्जीबिशन की प्रेरणा

हमारे ग्रुप में 15 छात्राएं हैं, जिन्हें यह आइटम तैयार करने में तीन महीने लगे। कुछ आइटम 7 से 15 दिन में भी तैयार किए गए हैं। इस काम को करने की प्रेरणा हमें कॉलेज द्वारा कुछ समय पहले आयोजित की गई एक वर्कशॉप से मिली थी। असरा सुल्तान, छात्रा, एआरआईडी

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