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जेईई में स्कोर करने के लिए क्वेश्चन को ईगो पर न लें और एग्जाम टेम्परामेंट सही रखें

एक्सपर्ट्स ने कहा - कोचिंग पर टॉप करने वाले स्टूडेंट्स जेईई में कुछ कॉमन गलतियों के कारण पिछड़ते हैं

प्रीति जैन। जेईई मेन सेशन-2 के लिए रजिस्ट्रेशन जारी हैं, जिसमें स्टूडेंट्स 2 मार्च तक दूसरे अटेंप्ट के लिए एप्लाई कर सकते हैं। यह परीक्षा 4 से 15 अप्रैल तक आयोजित की जाएगी। जिन स्टूडेंट्स का परसेंटाइल उम्मीद के मुताबिक नहीं आया है वे दोबारा परीक्षा देकर अपना परसेंटाइल सुधार सकते हैं। जेईई मेन जनवरी अटेंप्ट में हुई गलतियों को सुधारते हुए दूसरा प्रयास करें। अधिकांश स्टूडेंट्स के साथ होता यह है कि उनकी तैयारी तो अच्छी होती है, लेकिन एग्जाम हॉल में प्रदर्शन ठीक नहीं होता क्योंकि उन्हें अंदर पेपर मैनेजमेंट की कमी होती है। कई बार स्टूडेंट्स एक ही सवाल पर 15 मिनट तक खर्च कर देते है, जिसे एक्सपर्ट्स क्वेश्चन को ईगो पर लेना कहते हैं। इस तरह की तमाम गलतियां पेपर में होती है जिससे कोचिंग के टॉप स्कोरर स्टूडेंट्स एग्जाम हाल में पिछड़ जाते हैं।

हर दिन एक से तीन घंटे का फुल लेंथ मॉक पेपर जरूर दें

जेईई-मेन का दूसरा प्रयास बोर्ड एग्जाम के साथ पड़ रहा है तो इसमें उन स्टूडेंट्स को ज्यादा फायदा मिल जाता है जो कि ड्रॉप लेकर तैयारी कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें सिर्फ जेईई का सिलेबस पढ़ना है, लेकिन वो स्टूडेंट्स क्या करें जो कि बोर्ड एग्जाम की तैयारी करते हुए दूसरा प्रयास करने जा रहे हैं। उनके लिए अहम सुझाव यह है कि वे हर दिन बोर्ड एग्जाम के बावजूद एक से तीन घंटे का फुल लेंथ मॉक पेपर जरूर दें, ताकि अप्रैल वाले सेशन तक उनके लगभग 40 से 60 मॉक पेपर हो जाएं। मॉक देने का मतलब है कि जिन टॉपिक में लगातार कमी देख रहे हैं, उनका रिवीजन करें क्योंकि पूरा सिलेबस उठाकर रिवीजन अब हो नहीं सकता। तो अपनी मॉक टेस्ट की परफॉर्मेंस की एनालिसिस करने के बाद जो टॉपिक कमजोर हैं, उनकी प्रैक्टिस करें।

तैयारी के साथ जरूरी है पेपर मैनेजमेंट

एग्जाम हॉल में एक सवाल के पीछे कई स्टूडेंट्स 15 मिनट तक पड़ रहते हैं, जबकि उस समय को वे उन सवालों को हल करने में लगा सकते हैं जो कि उनसे बन रहे हैं। इसके बाद जब समय कम पड़ता है तो वे उन सवालों को भी हल नहीं कर पाते जो उनकी ताकत थे। इस तरह पेपर मैनेजमेंट नहीं कर पाने का नतीजा उन्हें भुगतना पड़ता है। किसी भी सवाल में यदि पांच मिनट से ज्यादा उलझ रहे हैं तो फिर उसे छोड़कर आगे बढ़े। एक ही सेक्शन से सारे सवाल हल करने में समय न लगाएं बल्कि सिलेक्शन के लिए 300 में से कम से कम 200 अंक लाने का टारगेट बनाकर पेपर सॉल्व करें। -अभिषेक पांडे, जेईई एक्सपर्ट

अप्रैल में स्कोर बढ़ने की संभावना कम रहती है

मैंने देखा है कि बोर्ड एग्जाम की तैयारी की वजह से अप्रैल सेशन में स्कोर बहुत ज्यादा नहीं बढ़ पाता, लेकिन ड्रॉपर्स को फायदा मिल जाता है लेकिन तैयारी पहले से ही अच्छी रहती है तो स्कोर बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए हर दिन 25 से 30 सवाल सॉल्व करना होंगे और मैथ्स को प्रायोरिटी देना होगी क्योंकि जब एक ही रैंक पर दो स्टूडेंट होते हैं तो फिर प्राथमिकता मैथ्स में ज्यादा स्कोर करने वाले को दी जाती है। बाकी परसेंटाइल इस बात पर भी निर्भर करता है कि जिस दिन आपने परीक्षा दी उस दिन कितने और स्टूडेंट्स ने एग्जाम दिया। -मितेश राठी, जेईई एक्सपर्ट

हर डाउट को तुरंत क्लियर करता हूं , ताकि कोई कॉन्सेप्ट छूट न पाए

मेरे मैथ्स और फिजिक्स हमेशा से ही अच्छा था, लेकिन कमेस्ट्री में मुझे काफी टाइम देना पड़ा, क्योंकि कमेस्ट्री में काफी कुछ याद करना का होता है। टेस्ट से पहले में टॉपिक्स को अच्छे से रिवाइज करता था। जो भी डाउट्स होते थे, उन्हें मैं जल्दी ही सॉल्व कर लेता था, ताकि कोई कॉन्सेप्ट छूट न पाए। सेमीकंडक्टर, एल्क्ट्रो मैग्नेटिव जैसे चैप्टर पर ज्यादा फोकस किया। एग्जाम से पहले का आखिरी हμता काफी स्ट्रेसफुल होता है, इसलिए मैं अपने पैरेंट्स के साथ हमेशा वॉक पर जाता था। मैं अभी बोर्ड एग्जाम के लिए तैयारी कर रहा हूं। इसके साथ ही मैं जेईई एडवांस की तैयारी कर रहा हूं, एग्जाम के बाद मेरा फोकस उसी पर रहेगा। -राथर्व राठौर , 99.96 परसेंटाइल

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